Delhi Pollution News: दिल्ली-एनसीआर में कोरोना वायरस के खतरे और प्रभाव को बढ़ा सकता है वायु प्रदूषण
Delhi NCR Pollution News दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण न सिर्फ फेफड़ों पर असर कर रहा है बल्कि अन्य तरह की बीमारियां भी बांट रहा है। इनमें अस्थमा दमा के अलावा आंखों और चमड़ी (स्किन) में एलर्जी शामिल हैं।
नई दिल्ली [स्वदेश कुमार]। राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति विकराल होती जा रही है। इसकी वजह से अस्पतालों में मरीजों का बोझ भी बढ़ रहा है। दरअसल, प्रदूषण न सिर्फ फेफड़ों पर असर कर रहा है, बल्कि अन्य तरह की बीमारियां भी बांट रहा है। इनमें अस्थमा, दमा के अलावा आंखों और चमड़ी (स्किन) में एलर्जी शामिल हैं। इसके अलावा स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो प्रदूषण के दूरगामी परिणाम कैंसर, मानसिक रोग और बांझपन के रूप में भी सामने आ सकते हैं। उनका कहना है कि बच्चों-बुजुर्गो के साथ फेफड़ों की समस्या से ग्रस्त लोगों को भी बेहद सतर्क रहने की जरूरत है।
पिछले कुछ दिनों से वायु प्रदूषण के चलते दिल्ली-एनसीआर में हेल्थ इमरजेंसी जैसा हालात बन गए हैं। लोग सिरदर्द, खासी, सांस लेने में तकलीफ के साथ आंखों में जलन जैसी समस्याएं लेकर डाक्टरों के पास पहुंच रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा संख्या बच्चों और बुजुर्गों की है। इस बीच डा. सुरेश कुमार (एमडी, एलएनजेपी अस्पताल) का कहना है कि दिवाली के बाद यहां पर करीब 10-15 फीसदी और मरीज भर्ती हुए है। इसके अलावा, रोजाना 4-5 बच्चों को एलर्जी, अस्थमा और सांस लेने में तकलीफ के साथ भर्ती कराया जा रहा, क्योंकि इनके फेफड़ों की स्थिति बिगड़ रही है।
मास्क जरूर लगाएं
उन्होंने यह भी कहा है कि जब हवा प्रदूषित होती है, तो कोरोना वायरस संक्रमण सहित सभी वायरस लंबे समय तक वातावरण में रहते हैं। एक अध्ययन के अनुसार, 3 लेयर मास्क प्रदूषित हवा में 65-95 फीसद कणों को कम करते हैं। ऐसे में लोगों को मास्क जरूर लगाना चाहिए।
राजीव गांधी सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल के पुल्मनोलाजिस्ट डा. विकास डोगरा बताते हैं कि सामान्य तौर पर प्रदूषण की वजह से सामान्य तौर पर लोगों में खांसी, सांस लेने में तकलीफ, गले में खराश, नाक बंद होने के लक्षण आ रहे हैं। इसके साथ आंखें लाल होना और छाती में ¨खचाव की समस्या भी आ रही है। सड़क और फैक्टियों के आसपास, यानी जहां प्रदूषण अधिक है, वहां रहने वालों में अस्थमा, दमा की शिकायतें अधिक हैं। दिक्कत बढ़ जाने के कारण अस्पताल में फेफड़ों के पुराने मरीज फिर से पहुंचने लगे हैं। उनका कहना है कि इस समय जरूरी होने पर ही लोगों को घर से बाहर निकलना चाहिए। मास्क का प्रयोग तो हम कोरोना से बचने के लिए कर रहे हैं, लेकिन सामान्य मास्क प्रदूषण में मौजूद पीएम 2.5 को नहीं रोक पाते हैं। ये फेफड़ों पर अटैक करते हैं। ऐसे में एन-95 या एन-99 मास्क प्रयोग करना चाहिए।
वहीं, स्वामी दयानंद अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी और चेस्ट रोग विशेषज्ञ डा. ग्लैडबिन त्यागी का कहना है कि अस्थमा के पुराने मरीजों में इसका अटैक अधिक हो रहा है। साथ ही चमड़ी में एलर्जी की समस्या भी बढ़ी है। उन्होंने कहा कि इस प्रदूषण का दूरगामी परिणाम कैंसर, मानसिक रोग, बांझपन के रूप में भी सामने आ सकती है। इसलिए सभी को सावधान रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कुछ दिन तक लोगों को सुबह-शाम की सैर टाल देना चाहिए। बहुत जरूरी होने पर ही घर से निकलें।