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Air Pollution in Delhi: प्रदूषण को आधा कर देगा यह खास स्मॉग टावर, IIT बांबे ने किया तैयार

Air Pollution in Delhi आइआइटी बांबे के शोधकर्ताओं ने 21 फीट ऊंचा स्मॉग टावर का प्रोटोटाइप तैयार किया है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Fri, 06 Mar 2020 02:59 PM (IST)Updated: Fri, 06 Mar 2020 02:59 PM (IST)
Air Pollution in Delhi: प्रदूषण को आधा कर देगा यह खास स्मॉग टावर, IIT बांबे ने किया तैयार
Air Pollution in Delhi: प्रदूषण को आधा कर देगा यह खास स्मॉग टावर, IIT बांबे ने किया तैयार

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) बांबे के शोधकर्ताओं ने 21 फीट ऊंचा स्मॉग टावर का प्रोटोटाइप तैयार किया है। इसे संस्थान के एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. अनिल कुमार दीक्षित और पूर्व छात्र डॉ. अवकाश कुमार की अगुआई में तैयार किया गया है। इस टावर के सहयोग से दिल्ली के प्रदूषण को कम करने में सहयोग मिलेगा।

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डॉ. अवकाश कुमार आइआइटी बांबे में स्थापित किए गए स्टार्टअप सस्टेनेबल अप्रोच फॉर ग्रीन एनवायरनमेंट (सेज) के सीईओ एवं संस्थापक भी हैं, वे प्रो. अनिल कुमार दीक्षित के साथ परिवेश वायु सफाई व्यवस्था (एंबिएंट एयर क्लीनिंग सिस्टम) प्रोजेक्ट पर दो वर्षों से काम कर रहे हैं। इसी प्रोजेक्ट के तहत स्मॉग टावर का प्रोटोटाइप तैयार किया गया है।

डॉ. अवकाश कुमार ने बताया है कि यह स्मॉग टावर अपने नजदीक के वातावरण में मौजूद पीएम 2.5 एवं पीएम 10 जैसे प्रदूषित कणों को 50 फीसद तक कम कर देने की क्षमता रखता है। अभी यह बिजली के जरिये काम करता है। इसे सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा से चलाने पर काम कर रहे हैं। एक स्मॉग टावर को लगाने में 25 लाख रुपये का खर्च आएगा। सीपीसीबी के विशेषज्ञों से इस टॉवर के बारे में बातचीत हो रही है।

इस तरह करेगा काम

इसे दिल्ली के कनॉट प्लेस एवं आनंद विहार में इस बर्ष सर्दियों की शुरुआत होने से पहले स्थापित कर दिया जाएगा। डॉ. अवकाश कुमार ने बताया कि यह स्मॉग टावर पीएम 2.5, पीएम 10 जैसे प्रदूषक कण एवं नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड जैसी प्रदूषित गैसों का अवशोषण कर लेता है और शुद्ध हवा वातावरण में छोड़ता है। यह 300 से 500 मीटर के दायरे में प्रदूषण को कम करने में मददगार है।

आइआइटी दिल्ली करेगा नतीजों की समीक्षा

इस टावर के लगने के बाद आइआइटी दिल्ली की तरफ से उस जगह के वातावरण का अध्ययन करते हुए मूल्यांकन किया जाएगा। जिसमें यह देखा जाएगा कि इस टावर की सहायता से जिस जगह पर इसे लगाया गया है वह कितनी मात्र में प्रदूषित कणों को वातावरण से दूर कर रहा है।


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