नौकरी से निकालने के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचे एयर इंडिया के पायलट
नौकरी से निकालने के 13 अगस्त के आदेश को चुनौती देते हुए दायर की गई याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने एयर इंडिया को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। एयर इंडिया द्वारा नौकरी से निकाले जाने के आदेश के खिलाफ कई पायलट दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच गए हैं। नौकरी से निकालने के 13 अगस्त के आदेश को चुनौती देते हुए दायर की गई याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने एयर इंडिया को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने एयर इंडिया से कहा है कि वर्तमान में वह याचिकाकर्ता चार पायलटों से पहचान पत्र एवं अन्य दस्तावेज नहीं मांगे। याचिका पर अगली सुनवाई 19 अगस्त यानी बुधवार को होगी।
नौकरी से निकाले गए हैं एयर इंडिया ने 40 से अधिक पायलट
एयर इंडिया ने हाल ही में 40 से अधिक पायलटों को नौकरी से निकाल दिया है। हालांकि, अर्जी उस मामले में दाखिल की गई है जिसमें कुछ पायलटों ने पहले तो त्यागपत्र दे दिया था, लेकिन बाद में त्यागपत्र वापस लेने की मांग की थी। पायलटों ने कोर्ट में दलील दी थी कि उन्होंने निर्धारित समयसीमा छह महीने बीतने से पहले ही अपना त्यागपत्र वापस ले लिया था। साथ ही इस संबंध में एयर इंडिया को आवेदन दिया गया था, लेकिन एयर इंडिया ने अभी तक इसका कोई जवाब नहीं दिया है। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि ऐसे में उनका त्यागपत्र वापस समझा जाए और उन्हें वापस नौकरी पर रखे जाने का निर्देश दिया जाए।
वेतन मुद्दे को केंद्र-दिल्ली सरकार व निगम मिलकर करें हल
तीनों नगर निगमों में व्यापक आर्थिक संकट का निगम के डॉक्टरों, शिक्षकों व कर्मचारियों के वेतन पर पड़ने वाले असर को देखते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम निर्देश दिया। मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल व न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने केंद्र व दिल्ली सरकार के साथ तीनों निगम को निर्देश दिया कि वे आपस में बैठक कर इसका हल निकालें। उत्तरी दिल्ली नगर निगम की अर्जी पर सुनवाई करते हुए मुख्य पीठ ने कहा कि हमें उम्मीद है कि बैठक जल्द ही आयोजित की जाएगी। याचिका पर अगली सुनवाई 8 सितंबर को होगी।
एक दूसरे पर लगा आरोप
लंबित याचिका पर सुनवाई के दौरान अर्जी दाखिल करके एनडीएमसी ने दलील दी थी कि सैलरी, सफाई एवं विकास के मद में अप्रैल से लेकर जून तक के बीच दिए जाने वाला 90.60 करोड़ रुपए नहीं दिया है। यह रकम दिया जाना था। वहीं, दिल्ली सरकार ने दलील दी थी कि केंद्र सरकार ने उसे उसके हिस्से का 10 हजार करोड़ रुपए का जीएसटी नहीं दिया है। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद पीठ ने केंद्र व दिल्ली सरकार काे इस मामले को सुलझाने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ता ने निगम के सफाई कर्मचारियों का वेतन देने की मांग की थी। निगम ने दावा किया कि उसने अपने पास से मई तक का सभी को वेतन दे दिया है और कोरोना महामारी के दौरान पीपीई किट, मास्क समेत अन्य खर्च अपने स्तर पर किया।
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