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गबन मामले में एम्स कर्मी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज

न्यायमूर्ति अनु मल्होत्रा की पीठ ने कहा कि इस मामले में आरोपित को अग्रिम जमानत देने का आधार नहीं बनता है।अदालत ने 22 सितंबर को दी गई अंतरिम सुरक्षा भी वापस ले ली। इसके तहत आरोपित को जांच में शामिल होने की शर्त पर गिरफ्तारी पर सुरक्षा प्रदान की थी।

By Prateek KumarEdited By: Published: Tue, 23 Nov 2021 04:36 PM (IST)Updated: Tue, 23 Nov 2021 04:36 PM (IST)
गबन मामले में एम्स कर्मी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज
कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी हैा

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी] अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डा. राजेंद्र प्रसाद नेत्र केंद्र के 14 करोड़ के गबन के मामले में आरोपित जूनियर प्रशासनिक सहायक बिजेंद्र कुमार को अग्रिम जमानत देने से दिल्ली हाई कोर्ट ने इन्कार कर दिया। न्यायमूर्ति अनु मल्होत्रा की पीठ ने कहा कि इस मामले में आरोपित को अग्रिम जमानत देने का आधार नहीं बनता है। अदालत ने 22 सितंबर को दी गई अंतरिम सुरक्षा भी वापस ले ली। इसके तहत आरोपित को जांच में शामिल होने की शर्त पर गिरफ्तारी पर सुरक्षा प्रदान की थी।

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मामले की मेरिट पर टिप्पणी न करते हुए पीठ ने कहा कि जांच में सामने आया है कि स्नेह इंटरप्राइजेज फर्म को आपूर्ति का आर्डर बिजेंद्र द्वारा दिया गया था। एम्स की स्थिति रिपोर्ट में सामने आया कि एक दिसंबर, 2018 से लेकर 31 अगस्त, 2021 तक फर्म से आने वाले आर्डर की फाइल का रखरखाव भी आरोपित द्वारा ही किया जाता था। 56 मूल आपूर्ति आर्डर में से सात पर फर्जी हस्ताक्षर थे।

सात फाइलें बिजेंद्र के कार्यालय से बरामद हुई और 49 फाइल को बरामद किया जाना है। अदालत के आदेश पर बिजेंद्र ने 23 सितंबर को जांच में शामिल होकर आपूर्ति आर्डर की फाइल पर उसके हस्ताक्षर होने की बात मानी थी। पुलिस द्वारा पेश की गई स्थिति रिपोर्ट में कहा गया है पूछताछ के दौरान बिजेंद्र ने सहयोग नहीं किया। 


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