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AIIMS News: स्तन कैंसर जैसी बीमारियों के निदान में कारगर साबित हो रहा 'आयुर इन्फार्मेटिक्स प्रयोगशाला'

एम्स की आयुष इंफॉरमेटिक्स प्रयोगशाला आयुर्वेदिक दवाओं की खोज में क्रांति ला रही है। कम्प्यूटेशनल ड्रग डिजाइनिंग की मदद से शोधकर्ता नई दवाओं के सबसे प्रभावी तत्वों की पहचान कर रहे हैं और अनावश्यक समय श्रम धन और मानव संसाधन बचा रहे हैं। इस लैब में बच्चों के काढ़े से लेकर स्तन कैंसर त्वचा कैंसर दवा प्रतिरोधकता कोविड-19 बाल वृक्क रोग आदि के लिए कम्प्यूटेशनल ड्रग डिजाइन दिए गए हैं।

By Jagran News Edited By: Kapil Kumar Updated: Fri, 06 Sep 2024 02:47 PM (IST)
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बीमारियों के निदान में अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान का 'आयुर इन्फार्मेटिक्स प्रयोगशाला' कारगर साबित हो रहा है। फाइल फोटो

मुहम्मद रईस, दक्षिणी दिल्ली। स्तन कैंसर, त्वचा कैंसर से लेकर दवा प्रतिरोध जैसी बीमारियों के निदान में अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान का 'आयुर इन्फार्मेटिक्स प्रयोगशाला' कारगर साबित हो रहा है। यहां नई आयुर्वेदिक दवाओं के सबसे प्रभावी तत्वों की पहचान कर कम्प्यूटेशनल मॉडल तैयार किया जा रहा है।

इन मॉडल्स के माध्यम से शोधार्थी दवाओं में मौजूद गैरजरूरी चीजों को नजरअंदाज कर सबसे कारगर तत्वों को शोध में शामिल कर अनावश्यक समय, श्रम, धन और मानव संसाधन बचा रहे हैं। साथ ही न्यूनतम समय में सटीक और वांछित परिणाम भी प्राप्त कर रहे हैं।

मॉडर्न मेडिसिन में कम्प्यूटेशनल ड्रग डिजाइनिंग का अभ्यास तो दो दशक पहले ही शुरू हो गया था। कोविड काल में आयुर्वेदिक दवाओं को लेकर भी इस तरह की पहल शुरू हुई। आयुर्वेदिक दवा या काढ़ा मानव शरीर में किस तरह काम करते हैं, किन अंगों से होकर लक्षित जगह पहुंचते हैं, यानी मार्गों के निर्धारण में कम्प्यूटेशनल तकनीक सहायक है।

वहीं, सबसे पहले नई औषधि या काढ़े के गुणधर्म के आंकड़ों का कंप्यूटर के माध्यम से विश्लेषण किया जाता है। सबसे प्रभावी तत्वों की पहचान कर उनका डाटा अलग करते हैं। फिर इनका कम्प्यूटेशनल ड्रग डिजाइन तैयार किया जाता है, जो औषधि निर्माण की दिशा में होने वाले क्लीनिकल रिसर्च में बहुत ही सहायक साबित हो रहे हैं।

आयुर्वेद को लेकर अपनी तरह का पहला लैब

कौमार भृत्य (बाल रोग) विभाग के सहायक आचार्य डॉ. प्रशांत कुमार गुप्ता व सह-आचार्य डॉ. अरुण कुमार महापात्रा के मुताबिक कोविड काल में आयुर्वेद को लेकर भी इस तरह के लैब की जरूरत महसूस हुई। आयुर्वेद में कम्प्यूटेशनल ड्रग डिजाइन को लेकर 6 फरवरी 2023 को 'आयुर इन्फार्मेटिक्स प्रयोगशाला' स्थापित किया गया, जो अपनी तरह का देश का पहला लैब भी है।

बच्चों के काढ़े से हुई शुरुआत

आयुर इन्फार्मेटिक्स प्रयोगशाला में सबसे पहले बच्चों को दिए जाने वाले काढ़े का कम्प्यूटेशनल ड्रग डिजाइन तैयार किया गया। इस माडल के आधार पर शोध कार्य भी शुरू हुए। डा. प्रशांत के मुताबिक सकारात्मक परिणाम आने पर स्तन कैंसर, त्वचा कैंसर, दवा प्रतिरोधकता, कोविड-19, बाल वृक्क रोग आदि में भी कम्प्यूटेशनल ड्रग डिजाइन दिए गए, जिन पर शोध कार्य चल रहे हैं।

भविष्य के लिए तैयार कर रहे विशेषज्ञों की फौज

आयुष मंत्रालय के डिजिटल इंडिया मुहिम को आगे बढ़ाते हुए आयुर इन्फार्मेटिक्स प्रयोगशाला देशभर के शोधछात्रों को आयुर्वेद में कम्प्यूटेशनल ड्रग डिजाइन में प्रशिक्षित भी कर रहा है। अब तक दो बैच में 80 शोधार्थियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। वहीं तीसरे बैच का प्रशिक्षण एक सितंबर से दिया जा रहा है, जिसमें 38 प्रतिभागी शामिल हैं।

आयुष केंद्रित सॉफ्टवेयर किया जा रहा विकसित

डॉ. महापात्रा ने बताया कि आयुष केंद्रित सॉफ्टवेयर डेवलप किया जा रहा है। साथ ही आयुर इंफार्मेटिक्स में राष्ट्रीय स्तर पर ऐसा संगठन तैयार करने की दिशा में भी काम किया जा रहै, जिसमें देशभर के आयुष विशेषज्ञ मिलकर एक दिशा में काम कर सकें। तकनीकी आदन-प्रदान को लेकर नेशनल इंस्टीट्यूट आफ फार्मासीयूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (एनआइपीईआर), मोहाली व कोट्टक्कल वैद्यशाला, केरल के साथ समझौता (एमओयू) किया गया है।

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जिन बीमारियों के नए लक्षण आये हैं या बीमारी ही मानव में कुछ समय से देखनी को मिली, जैसे कोविड, चिकनगुनिया, एचआइवी आदि। ऐसी सभी बीमारियों के प्रोटीन टारगेट को केंद्र मानकर आयुर्वेदिक औषधियों का नवप्रयोग आयुर इंफार्मेटिक्स के माध्यम से करने में सहायता मिल सकती है। - प्रो. तनुजा नेसरी, निदेशक, अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान

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