एम्स में पांच साल में इतने मरीज बढ़े, इस रिपोर्ट में हुआ खुलासा
एम्स की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, एक साल में ही दो लाख 14 हजार से अधिक मरीज बढ़े हैं, जबकि सुविधाओं में खास बढ़ोतरी नहीं हुई है।
नई दिल्ली, जेएनएन। ज्यों-ज्यों दवा दी, त्यों-त्यों मर्ज बढ़ता गया। यह कहावत एम्स के संदर्भ में कही जा सकती है, जहां पिछले पांच सालों में 56.26 फीसद (15 लाख 68 हजार 584) मरीज बढ़ गए हैं। दिल्ली एम्स में मरीजों की इसी भीड़ को कम करने के लिए केंद्र सरकार देशभर में नए एम्स खोल रही है। छह नए एम्स में पिछले कई सालों से चिकित्सा सुविधा भी मुहैया हो गई है। लेकिन, इसके बाद भी दिल्ली एम्स में मरीजों की भीड़ कम नहीं हो रही है।
एम्स की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, एक साल में ही दो लाख 14 हजार से अधिक मरीज बढ़े हैं, जबकि सुविधाओं में खास बढ़ोतरी नहीं हुई है। दिल्ली एम्स में पांच साल पहले 2428 बेड थे जबकि वर्तमान समय में 2478 हैं। एम्स ट्रॉमा सेंटर में प्राइवेट वार्ड व कुछ नए बेड जुड़ गए हैं। एम्स के विस्तार के लिए सर्जिकल ब्लॉक बनकर तैयार है। इसके अलावा चार अन्य ब्लॉक भी बन रहे हैं, जो इस साल तैयार हो जाएंगे। लेकिन, किसी नए सेंटर में इलाज शुरू नहीं होने से सुविधाएं करीब-करीब जस की तस हैं।
ऐसे में मरीजों की बढ़ती भीड़ से एम्स पर दबाव भी बढ़ रहा है, जिसके मद्देनजर इन सेंटरों में जल्द चिकित्सा सुविधा शुरू करने की जरूरत महसूस की जा रही है। बहरहाल, वर्ष 13-14 में एम्स और उसके नौ अन्य सेंटरों (एम्स परिसर में छह और एनसीआर में तीन) की ओपीडी में 27 लाख 86 हजार 754 मरीज पहुंचे थे। इसमें एम्स के दिल्ली परिसर में 25 लाख दो हजार मरीज शामिल हैं। वहीं, वर्ष 17-18 में एम्स और उसके सभी नौ सेंटरों की ओपीडी में कुल 43 लाख 55 हजार 338 मरीज पहुंचे। इसमें एम्स के दिल्ली परिसर में 35 लाख नौ हजार मरीज पहुंचे। इस तरह वर्ष 13-14 की तुलना में 2017-18 में एम्स में 15 लाख 68 हजार 584 मरीज अधिक पहुंचे।
एक साल में एक लाख 93 हजार मरीजों की सर्जरी
एम्स में मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ ही सर्जरी भी खूब हुई है। वर्ष 2017-18 में एम्स में 1 लाख 93 हजार 34 मरीजों की सर्जरी की गई। इस तरह प्रतिदिन 528 मरीजों की छोटी-बड़ी सर्जरी की जा रही है। बताया जा रहा है कि एम्स दुनिया का सर्वाधिक सर्जरी करने वाला अस्पताल बन गया है। नवनिर्मित सर्जिकल ब्लॉक, निर्माणाधीन मातृ व शिशु ब्लॉक व हरियाणा के झज्जर में बने राष्ट्रीय कैंसर संस्थान में सर्जरी शुरू होने पर एम्स में एक साल में सवा दो लाख से अधिक मरीजों की सर्जरी हो सकेगी।
मुख्य अस्पताल में बढ़ी मृत्युदर
मरीजों की भीड़ बढ़ने से इलाज पर असर पड़ना लाजिमी है। रिपोर्ट के अनुसार, एम्स के मुख्य अस्पताल में मृत्युदर 1.7 फीसद से बढ़कर 1.8 हो गई। वर्ष 2017-18 में एम्स के मुख्य अस्पताल में 3327 मरीजों की मौत हुई, जबकि इसके पिछले वर्ष 3035 की मौत हुई थी। हालांकि कार्डियक व न्यूरो सेंटर में मृत्युदर घटी है। साथ ही एम्स ने संक्रमण कम करने में भी कामयाबी हासिल की है।
एम्स और उसके नौ सेंटरों में पहुंचे मरीज
वर्ष मरीज (लाख में)
- 2017-18 43.55
- 2016-17 41.40
- 2015-16 35.33
- 2014-15 33.41
- 2013-14 27.86