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Delhi: जीवन देने वाली ऑक्सीजन के बाद अब अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियों की भी हो रही किल्लत

कोरोना की वजह से हो रही मौतों की वजह से अब अस्पताल के बाद श्मशान भूमि पर भी दबाव बढ़ता जा रहा है। अब सीएनजी व विद्युत चालित शवदाह गृह के बाद अब लकड़ियों पर भी कोरोना संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Wed, 21 Apr 2021 05:54 PM (IST)Updated: Wed, 21 Apr 2021 05:54 PM (IST)
Delhi: जीवन देने वाली ऑक्सीजन के बाद अब अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियों की भी हो रही किल्लत
मृत्युदर के बढ़ते आंकड़ों के कारण श्मशान भूमि पर शवदाह के लिए लकड़ियों की हुई किल्लत।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। संक्रमण दर के साथ मृत्युदर में भी लगातार इजाफा दर्ज किया जा रहा है। जिसके कारण अब अस्पताल के बाद श्मशान भूमि पर भी दबाव बढ़ता जा रहा है। आलम यह है कि सीएनजी व विद्युत चालित शवदाह गृह के बाद अब लकड़ियों पर भी कोरोना संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। ऐसे में अब श्मशान घाटों पर लकड़ियों की कमी एक बहुत बड़ी चुनौती बन गई है।

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द्वारका सेक्टर-24 स्थित श्मशान भूमि का प्रबंधन संभाल रहे द्वारका सेक्टर-11 स्थित श्री गुरू सिंह सभा के अध्यक्ष प्रितपाल सिंह बताते हैं इस श्मशान भूमि पर पहले महीने में मुश्किलों से 50 शवों का शवदाह होता था, पर अब नियमित रूप से 25 से 30 शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। सुबह छह बजे से रात 12 बजे तक श्मशान भूमि पर शवदाह हो रहा है। इसके अलावा श्मशान भूमि पर एक बार में 15 शवों का अंतिम संस्कार हो सकता है, पर मृत्युदर बढ़ने के कारण दो कच्चे शवदाह के लिए स्थान तैयार किए गए है।

प्रितपाल ने बताया कि एक शव के अंतिम संस्कार के बाद उस स्थान पर दूसरे शव का शवदाह तभी होगा जब अगले दिन उनके परिजन फूल चुगने की रस्म को अदा कर लेंगे। ऐसे में जगह की खासी कमी महसूस की जा रही है। परिजनों को टोकन उपलब्ध करा दिया जाता है, ताकि वे दिए गए समय पर ही श्मशान भूमि पर पहुंचे और भीड़भाड़ की समस्या न खड़ी हो। हालांकि अन्य श्मशान भूमि के मुकाबले दबाव अभी काफी कम है, पर बढ़ते दबाव के कारण लकड़ियों की कमी महसूस होने लगी है।

लाकडाउन के कारण मुश्किलें ज्यादा बढ़ गई है। असल में सहारनपुर, इटावा आदि क्षेत्रों से लकड़ियां मंगवाई जाती थी, पर लाकडाउन के कारण मजदूर अपने-अपने गांवों की तरफ पलायन कर रहे है और जो थोड़े बहुत मजदूर है भी तो वे खेतों में फसल की कटाई कार्य में जुटे हुए है। रोजाना अलग-अलग डिलरों से बात कर दोगुने दामों पर लकड़ियां मंगवाई जा रही है। शवों के अंतिम संस्कार में किसी तरह की परेशानी न हो इसके लिए निगम की तरफ से भी भरपूर सहयोग मिल रहा है। इसके अलावा शवदाह कार्य में जुटे कर्मचारियों पर भी काम का दबाव कई गुना बढ़ गया है।

सुरक्षा के लिहाज से सभी को पीपीई किट व सैनिटाइजर उपलब्ध कराए गए है, पर पीपीई किट पहनकर अंतिम संस्कार की विधि को करना थोड़ा मुश्किल होता है, ऐसे में कर्मचारी मास्क व दस्ताने पहनकर ही विधि को पूरा कर रहे है। पंजाबी बाग स्थित श्मशान भूमि की बात करें तो यहां 1 से 19 अप्रैल के बीच 327 शवों का अंतिम संस्कार लकड़ियों पर हुआ है, जबकि 89 शवों को शवदाह सीएनजी युक्त शवदाह गृह में किया गया है। ऐसे में यहां भी लकड़ियों की खासी किल्लत महसूस की जा रही है।


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