Move to Jagran APP

Delhi Violence Case: हिंसा में मारे गए लोगों के DNA सैंपल रखने होंगे सुरक्षित, HC ने दिया आदेश

Delhi Violence Case उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा और भड़काऊ भाषण के मामले की सुनवाई अब दिल्ली हाई कोर्ट 12 मार्च को करेगा।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 06 Mar 2020 08:55 AM (IST)Updated: Fri, 06 Mar 2020 01:03 PM (IST)
Delhi Violence Case: हिंसा में मारे गए लोगों के DNA सैंपल रखने होंगे सुरक्षित, HC ने दिया आदेश
Delhi Violence Case: हिंसा में मारे गए लोगों के DNA सैंपल रखने होंगे सुरक्षित, HC ने दिया आदेश

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Delhi Violence Case : दिल्ली हाई कोर्ट में अहम सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने सभी संबंधित अथॉरिटीज को आदेश दिया है कि हिंसा में मारे गए लोगों के डीएनए सैंपल सुरक्षित रखा जाए। इसी के साथ कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि सभी सरकारी अस्पताल शवों के पोस्टमार्टम के दौरान वीडियोग्राफी भी कराएं। हाई कोर्ट का यह भी कहना है कि जिन शवों की पहचान नहीं हुई है, उन्हें सुरक्षित रखा जाए।  

loksabha election banner

12 मार्च को होगी दिल्ली हिंसा और हेट स्पीच में सुनवाई

उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा और भड़काऊ भाषण के मामले की सुनवाई दिल्ली हाई कोर्ट अब होली के बाद 12 मार्च को करेगा। शुक्रवार को हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान बृंदा करात की याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस दिया है, जिसमें उन्होंने मांग की है कि गिरफ्तार लोगों के नाम डिस्प्ले करें। वहीं, दूसरी याचिका को को लेकर 12 मार्च को सुनवाई होगी, जिसमें हेट स्पीच मामले में भाजपा नेता अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की गई है। 

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के CJI जस्टिस एसए बोबडे ने बुधवार को सुनवाई के दौरान कहा था कि हम दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से गुजारिश करते हैं कि वह हिंसा मामले की सुनवाई करें। एसए बोवड़ ने कहा था कि हम अनुरोध करेंगे कि आप इन मामलों की सुनवाई करें। हम यह नहीं कह रहे हैं कि सुनवाई को टालना उचित नहीं था, लेकिन इसने समस्याओं को जन्म दिया है।

पीड़ितों को पक्षकार बनाने की मांग ठुकराई

इससे पहले बृहस्पतिवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हर्ष मंदर के मामले में हिंसा पीड़ितों को पक्षकार बनाए जाने का आग्रह ठुकरा दिया। कोर्ट ने वरिष्ठ वकील कोलिन गोन्साल्विस का आग्रह ठुकराते हुए कहा कि वह उन्हें मामले में हस्तक्षेप (इंटरविनर बनने) की इजाजत नहीं देंगे। हर्ष मंदर के भाषण में सुप्रीम कोर्ट पर टिप्पणियां किए जाने के मामले में कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगा। इस मामले में दिल्ली पुलिस की ओर से बृहस्पतिवार को हलफनामा दाखिल कर हर्ष मंदर पर भड़काऊ भाषण देने और कोर्ट पर टिप्पणी करने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ अवमानना का मामला चलाने की मांग की गई है।

गत बुधवार को सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस और केंद्र की ओर से सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने हर्ष मंदर के भाषण की ट्रांसस्क्रिप्ट कोर्ट में पढ़ी थी और कहा था कि मंदर ने इसमें कोर्ट पर सवाल उठाया है और लोगों को भड़काया है। कोर्ट ने इस पर मंदर से भी जवाब मांगते हुए मामले को शुक्रवार को सुनवाई पर लगाने का आदेश दिया था। जबकि कोर्ट ने भड़काऊ भाषण देने के आरोप में भाजपा के तीन नेताओं के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने की मांग वाली शेख मुजतबा फारुक सहित 10 हिंसा पीड़ितों की ओर से दाखिल याचिका सुनवाई के लिए हाई कोर्ट भेज दी थी।

बुधवार को हिंसा पीड़ितों की ओर से कोलिन ने ही बहस की थी लेकिन हर्ष मंदर की वकील दूसरी थीं। सालिसिटर जनरल ने यह मुद्दा भी उठाया था कि जैसी याचिका  हिंसा पीड़ितों ने सुप्रीम कोर्ट मे दाखिल की  है, ठीक वैसी ही याचिका हर्ष मंदर ने हाई कोर्ट में दाखिल कर रखी है और वहां उनके वकील कोलिन ही थे। मेहता का आरोप था कि इस याचिका के पीछे भी मंदर ही हैं।

गोन्साल्विस ने मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की पीठ के समक्ष मामले का जिक्र करते हुए 10 हिंसा पीड़ितों को भी हर्ष मंदर के मामले में हस्तक्षेप करने और पक्ष रखने की इजाजत मांगी। लेकिन कोर्ट ने साफ मना कर दिया। गोन्साल्विस ने कहा कि उन्होंने हर्ष मंदर का भाषण सुना है वह कोर्ट के समक्ष उसकी ट्रांसस्क्रिप्ट रखना चाहते हैं। वह हाईकोर्ट मे हर्ष मंदर के वकील थे ऐसे में उन्हें लगता है कि उन्हें इस कोर्ट के समक्ष रिकॉर्ड रखना चाहिए लेकिन मुख्य न्यायाधीश ने उन्हें मना कर दिया और कहा कि उन्होंने सॉलीसिटर जनरल से उस वीडियो को रिकॉर्ड पर रखने को कहा है। ऐसे में उनकी इस मामले में जरूरत नहीं है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.