वकीलों को इलाहाबाद HC के आदेश की प्रति मिली, अभी जेल में ही रहेंगे तलवार दंपती
अारुषि और हेमराज हत्याकांड में सजा काट रहे तलवार दंपती को बरी कर दिया गया है, लेकिन अभी दो रात दंपती को डासना जेल में ही गुजारनी होगी।
गाजियाबाद [जेएनएन] । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भले ही अारुषि और हेमराज हत्याकांड में सजा काट रहे तलवार दंपती को बरी कर दिया हो, लेकिन अभी दो रात इस दंपती को डासना जेल में ही गुजारनी होगी। आरुषि-हेमराज हत्याकांड के आरोपों से बरी हुए तलवार दंपती की जेल से रिहाई 16 अक्टूबर को ही हो सकेगी।
आरुषि के माता-पिता राजेश तलवार और नूपुर तलवार के वकीलों को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश की प्रमाणित प्रति मिल गई है। तलवार के एक वकील ने बताया कि आदेश की प्रति गाजियाबाद में विशेष सीबीआइ अदालत को सोमवार को उपलब्ध कराई जाएगी। इसके बाद डासना जेल के अधिकारियों को दंपती को बरी करने के लिए यह प्रति मुहैया कराई जाएगी।
We will produce it before concerned Spl CBI Court in Ghaziabad on Monday for expeditious work in releasing my clients: Tanvir Ahmad,Lawyer
— ANI (@ANI) October 14, 2017
दरअसल, दोहरे हत्याकांड में तलवार दंपती को बरी करने के आदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धारा 437 (ए) का क्लोज लगाया है। इसके चलते राजेश व नूपुर तलवार को सीबीआइ की विशेष अदालत में बेल बांड भरना होगा।
माह का दूसरा शनिवार होने के चलते शनिवार और रविवार को कचहरी में छुट्टी रहेगी। ऐसे में हाईकोर्ट के तलवार दंपती को बरी करने के आदेश की सत्यापित कॉपी सोमवार को मिलने के बाद ही डासना जेल के अधीक्षक को दोनों की रिहाई का आदेश जारी हो सकेगा।
यह भी पढ़ेंः आरुषि के बाद अब ये केस बना देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री, जानें दोनों में समानताएं
प्रत्येक को एक-एक लाख रुपये की दो-दो जमानत पेश करनी होंगी। इस बेल बांड की अवधि छह माह होगी। इस समयावधि के दौरान ऊपरी अदालत में इनके खिलाफ कोई अपील होती है तो तलवार दंपती को कोर्ट में पेश होना पड़ेगा। वहीं, अगर छह माह में कोई अपील नहीं होती है तो तलवार दंपती इस केस से पूरी तरह बरी हो जाएंगे। कानूनी जानकारों का कहना है कि तलवार दंपती के अधिवक्ताओं को हाईकोर्ट के आदेश की सर्टिफाइड कॉपी सीबीआइ की विशेष अदालत में देनी होगी। इसके बाद बेल बांड भरवाने व जमानत संबंधी सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही अदालत से रिहाई का आदेश जारी होगा।
पूर्व में सीबीआइ की विशेष अदालत में शार्ट टर्म बेल के वक्त दिए गए दो बेल बांड अभी वैध हैं। अगर तलवार दंपती के अधिवक्ता उस बेल बांड और उन्हीं जमानत देने के लिए आवेदन करते हैं तो उनका पता न बदलने की स्थिति में उन्हें मान्य कर दिया जाएगा।
क्या है धारा 437 (ए)
धारा 437 (ए) के मुताबिक जब कोई व्यक्ति दोष मुक्त होता है तो एक निश्चित समयावधि में ऊपरी अदालत में अपील होने तक जमानती देने होते हैं क्योंकि अगर ऊपरी अदालत में कोई अपील होने पर संबंधित शख्स के कोर्ट में उपस्थित होने की जरूरत पड़ती है तो कोर्ट में उपस्थित होना पड़ता है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।