Delhi MCD Merger: एक निगम में नए सिरे से तय होंगे कर और लाइसेंस शुल्क
MCD Merger एमसीडी 22 मई से अस्तित्व में आ जाएगा।। इसके बाद एकीकृत प्रशासनिक व्यवस्था बनाई जाएगी जिसका पूरा अधिकार विशेष अधिकारी के पास होगा। अभी तीनों निगमों में कर व विभिन्न लाइसेंस के शुल्क अलग-अलग हैं इसलिए संपत्तिकर से लेकर विभिन्न लाइसेंस का शुल्क आदि भी अधिसूचित किया जाएगा।
नई दिल्ली [निहाल सिंह]। दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) 22 मई से अस्तित्व में आ जाएगा। इसके बाद निगम सुधार की प्रक्रिया शुरू होगी। 22 मई से पहले दिल्ली नगर निगम के विशेष अधिकारी और निगमायुक्त की नियुक्ति भी हो जाएगी। इसके बाद एकीकृत प्रशासनिक व्यवस्था बनाई जाएगी, जिसका पूरा अधिकार विशेष अधिकारी के पास होगा।
चूंकि तीनों निगमों में कर और विभिन्न लाइसेंस के शुल्क अलग-अलग हैं, इसलिए संपत्तिकर से लेकर पार्किंग शुल्क, विभिन्न लाइसेंस का शुल्क आदि को भी अधिसूचित किया जाएगा। उत्तरी निगम से सेवानिवृत्त मुख्य विधि अधिकारी अनिल गुप्ता ने बताया निगमायुक्त और विशेष अधिकारी की नियुक्ति के बाद सबसे पहला काम विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्षों की नियुक्ति का होगा। इसके लिए निगम का एस्टेब्लिशमेंट शेड्यूल बनाया जाएगा, जिसमें विभागों के अध्यक्ष और अन्य कर्मियों को अधिसूचित किया जाएगा। साथ ही तीनों निगम का मुख्यालय क्या होगा, यह भी अधिसूचित किया जाना है।
कौन विभाग कहां होगा, अधिकारी कहां बैठेंगे, इसे भी अधिसूचित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पहले अस्थायी तौर पर भी विभिन्न विभागों के अधिकारियों की नियुक्ति की जा सकती है। फिर धीरे-धीरे इसे स्थायी किया जाएगा। विशेष अधिकारी की मंजूरी से आयुक्त प्रमुख अभियंता, निगम सचिव, जनस्वास्थ्य अधिकारी की नियुक्ति की जा सकती है।
पांच करोड़ तक की परियोजना मंजूर कर सकेंगे आयुक्त
महापौर और निगम सदन के बजाय अब विशेष अधिकारी काम करेंगे, जिनके पास सर्वाधिक अधिकार होंगे। हालांकि, पांच करोड़ रुपये तक की लागत वाली परियोजनाओं को निगमायुक्त स्वयं मंजूर कर सकेंगे, लेकिन इससे ज्यादा की लागत वाली परियोजना के लिए विशेष अधिकारी की मंजूरी जरूरी होगी। विशेष अधिकारी के पास वही अधिकार होंगे, जो निगम सदन के पास होते हैं। ऐसे में ज्यादातर आदेश विशेष अधिकारी की मंजूरी के बिना लागू नहीं हो पाएंगे।
700 पद हो सकते हैं खत्म
तीनों निगमों के एकीकरण से 700 पदों को खत्म किया जा सकता है। हालांकि, इन पदों को खत्म करने का फैसला विशेष अधिकारी को लेना होगा। इसमें समूह ए से लेकर समूह सी तक के पद हैं। उल्लेखनीय है कि तीन निगम होने से निगम के करीब 81 विभाग हो गए थे। अब चूंकि तीनों निगम एक हो रहे हैं, ऐसे में विभागों की संख्या एक तिहाई, यानी 27 हो जाएगी। इससे बड़ी संख्या में पद खत्म हो जाएंगे।
वहीं, प्रतिनियुक्ति पर आए कई अधिकारियों को अपने मूल विभाग में भी जाना होगा।बाक्सचुनाव होने तक विशेष अधिकारी पर होगी बड़ी जिम्मेदारीएकीकृत निगम में चुनाव होने तक केंद्र सरकार की ओर से नियुक्त विशेष अधिकारी पर बड़ी जिम्मेदारी होगी। चूंकि निगम एक्ट में अधिकतम 250 वार्ड की बात है, तो इसके लिए नए सिरे से परिसीमन होगा, जिसमें अनुसूचित जाति से लेकर महिलाओं के लिए आरक्षित वार्ड का भी निर्धारण किया जाएगा।
अब इस प्रक्रिया में कितना समय लगेगा, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन निगम का एक्ट फिलहाल छह माह तक इसे लागू रखने की अनुमति देता है। बता दें कि अब तक तीनों नगर निगम में 272 वार्ड थे। वर्ष 2017 में हुए निगम चुनावों में भाजपा ने 272 में से 181 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) के खाते में 48 सीटें आई थीं। कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही थी।