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यूपी की इस शातिर महिला के कारनामे ने उड़ाए सबके होश, मृत पति को कर दिया 'जिंदा'

अधिकारियों से मिलीभगत कर मृत पति को सरकारी रिकॉर्ड में भी जिंदा दिखा दिया। इसके चार माह बाद उसने पति की हार्ट अटैक से मौत का दावा करते हुए पॉलिसी का पैसा लेने के लिए क्लेम कर दिया।

By Edited By: Published: Sun, 21 Apr 2019 08:41 PM (IST)Updated: Mon, 22 Apr 2019 10:38 AM (IST)
यूपी की इस शातिर महिला के कारनामे ने उड़ाए सबके होश, मृत पति को कर दिया 'जिंदा'
यूपी की इस शातिर महिला के कारनामे ने उड़ाए सबके होश, मृत पति को कर दिया 'जिंदा'

नोएडा, जेएनएन। लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के एजेंट से मिलकर एक महिला ने अपने मृत पति को साल भर बाद कागजों में जिंदा दिखाकर उसके नाम से नौ लाख रुपये की पॉलिसी ले ली। आरोप है कि महिला ने अधिकारियों से मिलीभगत कर मृत पति को सरकारी रिकॉर्ड में भी जिंदा दिखा दिया। इसके चार माह बाद उसने पति की हार्ट अटैक से मौत का दावा करते हुए पॉलिसी का पैसा लेने के लिए क्लेम कर दिया। इंश्योरेंस कंपनी की जांच में पूरा मामला फर्जी पाया गया। इसके बाद कंपनी ने डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के आदेश पर एजेंट और महिला के खिलाफ कोतवाली सेक्टर 20 में एफआइआर दर्ज कराई है।

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पुलिस के मुताबिक, सेक्टर एक में श्रीराम लाइफ इंश्योरेंस कंपनी है। कंपनी का मुख्यालय हैदराबाद में है। कंपनी ने पुलिस को दी शिकायत में कहा है कि नोएडा में रहने वाला राजकुमार उसका अधिकृत एजेंट है। राजकुमार ने अगस्त 2013 में महेंद्र सिंह के नाम से पॉलिसी कराई। पॉलिसी में महेंद्र की पत्नी लक्ष्मी सिंह को नॉमिनी बनाया गया। महेंद्र को मूलरूप से आंवला बरेली का निवासी बताया गया और कहा गया कि मवाना मेरठ में फिलहाल वह परिवार के साथ रहते हैं। कंपनी ने एजेंट के कागजात पर भरोसा करते हुए 9 अगस्त 2014 को पॉलिसी दे दी। 

प्रधान और सेक्रेटरी से मिल कर सरकारी कागजों में भी दिखा दिया
जिंदा कंपनी का कहना है कि चार माह बाद ही दिसंबर 2014 में एजेंट ने महेंद्र ¨सह को मृत बताकर उसकी पॉलिसी के 9 लाख रुपये का क्लेम लेने के लिए कागजात जमा कर दिए। बताया गया था कि महेंद्र की 12 दिसंबर 2014 को हार्ट अटैक से मौत हो गई है। कंपनी ने सारांश सर्विस एजेंसी से इस केस की जांच कराई। इसमें पाया कि महेंद्र सिंह की मौत 20 जुलाई 2013 को ही हो चुकी थी। उनकी मौत के बाद पत्नी लक्ष्मी सिंह ने ग्राम प्रधान, आशा, आंगनबाड़ी कार्यकत्री व सेक्रेटरी से मिल कर सरकारी कागजों में पति को जिंदा दिखा दिया। इसके बाद एजेंट राजकुमार से मिल कर मृत पति को जिंदा बता कर पॉलिसी करा ली।

एजेंसी ने चुनाव आयोग की वेबसाइट से मतदाता सूची की जांच की। जिला निर्वाचन विभाग की तरफ से जारी 1 जनवरी 2014 की मतदाता सूची में पाया गया कि महेंद्र सिंह पुत्र सुखलाल सिंह की मौत के बाद उनका नाम सूची से हटा दिया गया है। इसके साथ अन्य कई साक्ष्य मिले, जिससे स्पष्ट हुआ कि महेंद्र की मौत 12 दिसंबर 2014 को नहीं हुई थी, बल्कि उनकी मौत 20 जुलाई 2013 को हो चुकी थी।

राजबीर सिंह चौहान (प्रभारी निरीक्षक, कोतवाली सेक्टर 20) का कहना है कि कंपनी ने फर्जी कागजात के जरिये मृत व्यक्ति का इंश्योरेंस पॉलिसी करा कर क्लेम लेने की कोशिश का आरोप लगाया है। कंपनी की शिकायत पर एजेंट और महिला पर धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज कर जांच की जा रही है। अभी महिला व एजेंट के बारे में जानकारी नहीं मिल पाई है।

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