अभिनेता पीयूष मिश्र ने दिल खोल कर की अपने संघर्ष की बातें, कहा- सफलता का शॉर्टकट नहीं
तीन दिवसीय उत्सव का आगाज हो चुका है। पहले दिन ‘बात शायरी की’ सत्र में पीयूष मिश्र ने बड़ी बेबाकी से अपने अभिनय सफर का अनुभव सभी के साथ साझा किया।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। यदि आप सफल बनना चाहते हैं तो उसके लिए परिश्रम करना होगा। संघर्ष करना ही होगा। यदि आप शार्टकट ढूंढ रहे हैं तो निराशा हाथ लगेगी क्योंकि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। यह बातें अभिनेता पीयूष मिश्र ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में आयोजित जश्न-ए-हिंदू उत्सव में कहीं।
बात शायरी की सत्र में बताया अभिनय का सफर
तीन दिवसीय उत्सव का आगाज हो चुका है। पहले दिन ‘बात शायरी की’ सत्र में पीयूष मिश्र ने बड़ी बेबाकी से अपने अभिनय सफर का अनुभव सभी के साथ साझा किया। इस मौके पर कवि व लेखक अशोक चक्रधर और कुंवर रंजीत चौहान भी मौजूद थे। उत्सव के पहले दिन आर्मी बैंड की प्रस्तुति ने दर्शकों का मन मोहा। वहीं, पहले दिन का समापन पदमश्री शोभना नारायण द्वारा प्रस्तुत शास्त्रीय नृत्य से हुआ।
उत्सव की शुरुआत में वीर सैनिकों को किया याद
उत्सव की शुरुआत वीर सैनिकों को याद करते हुए की गई। साक्षी संस्था की संस्थापिका मृदुला टंडन ने कहा कि हम घरों में सुरक्षित इसलिए बैठे हैं, क्योंकि बॉर्डर पर जवान मुस्तैद हैं। ऐसे में हम सभी की जिम्मेदारी है कि इनके परिवार की देखभाल करें। इसके बाद आर्मी बैंड की प्रस्तुति हुई, जिसने दर्शकों में देशभक्ति की भावना का संचार किया। उत्सव की अगली प्रस्तुति निजामी द्वारा प्रस्तुत साईं भजन थी एवं फरीद हसन खान ने ठुमरी ख्याल गायकी से दर्शकों का दिल जीत लिया।
दर्शकों को आया खूब पसंद
इसके बाद अगले सत्र में, जिसका नाम बात शायरी की थी में पीयूष मिश्र ने अपने अभिनय के सफर के बारें में बात की। कवि अशोक चक्रधर और कुंवर रणजीत चौहान संग पीयूष मिश्र का संवाद दर्शकों को पसंद आया। पीयूष ने बताया कि किस तरह उन्होंने 20 साल थियेटर को दिया। ये दिन संघर्ष के दिन थे। इस समय पैसा बिल्कुल नहीं था। इसके बाद मुंबई गया। 46 साल की उम्र में गुलाल फिल्म में काम मिला। इसके बाद आमदनी होनी शुरू हुई। पैसा कमाया तो फिर थियेटर की तरफ लौटा क्योंकि मेरा पैशन है थियेटर। अशोक चक्रधर ने कहा कि पीयूष बड़ी बेबाकी से अपनी जिंदगी के ऊपर बात करते हैं।