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पुलिस पर पीड़ित का बयान बदलने के आरोप, कोर्ट ने आयुक्त से मांगी रिपोर्ट

कोर्ट को बताया कि उनके मुवक्किल के खिलाफ गैर जमानती वारंट कराने के बाद भगोड़ा घोषित कराने की कार्रवाई शुरू करने का नोटिस उसके घर पर न लगाकर रिश्तेदार के घर लगाया गया।इस मामले में घायल ने कोर्ट में बयान दिया कि घटना के बाद वह बेहोश हो गए थे।

By Prateek KumarEdited By: Published: Thu, 21 Oct 2021 07:03 PM (IST)Updated: Thu, 21 Oct 2021 08:20 PM (IST)
पुलिस पर पीड़ित का बयान बदलने के आरोप, कोर्ट ने आयुक्त से मांगी रिपोर्ट
आनंद विहार इलाके में गोली से शख्स के घायल होने के मामले में आरोपित को कोर्ट ने दी अंतरिम राहत

नई दिल्ली [आशीष गुप्ता]। पार्टी में चली गोली से एक शख्स के घायल होने के मामले में आरोपित को गंभीर आरोपों में फंसाने के लिए पुलिस पर रुक्का (मूल शिकायत जिसके आधार पर प्राथमिकी दर्ज होती है) में पीड़ित का बयान बदलने का आरोप लगने पर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस आयुक्त से रिपोर्ट मांगी है। इसके साथ ही आरोपित की अग्रिम जमानत की अर्जी पर अगली सुनवाई तक अंतरिम राहत प्रदान करते हुए निर्देश दिया कि उसे जांच में शामिल होने के लिए पुलिस थाने में एक दिन छोड़ कर अपने वकील के साथ जाना होगा। वकील परिवार से नहीं होगा।

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बीती 19 जुलाई को आनंद विहार में एक होटल में गोली लगने से मौजपुर विजय पार्क के रहने वाले हरिओम घायल हो गए थे। प्राथमिकी में उन्होंने दर्ज कराया था कि वह होटल में पांच दोस्तों के साथ पार्टी कर रहे थे। उसमें से एक दोस्त पारस पिस्तौल को खोलने और बंद करने लगा। इसी दौरान उनके पेट में गोली लग गई थी। इस मामले में आरोपित पारस के अधिवक्ता महेश शर्मा के माध्यम से अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रविंद्र बेदी के कोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी दायर की थी। उसमें उन्होंने बताया कि गोली गलती से चली थी। घायल हरिओम को उनके मुवक्किल ने ही अस्पताल पहुंचाया था।

मूल प्राथमिकी भादंसं (भारतीय दंड संहिता) की धारा 326 और शास्त्र अधिनियम के तहत दर्ज की गई थी। आरोप लगाया कि पुलिस ने जानबूझ कर गोली चलाने का आरोप मढ़ने के लिए इसमें हत्या के प्रयास यानी भादंसं की धारा 307 जोड़ दी। साथ ही पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी पर आरोप लगाया कि उन्होंने वर्षों पुरानी दुश्मनी निकालने के लिए पारस के मामले में यह सब करवाया। यह आरोप भी लगाया कि रूक्का में दिए गए घायल के बयान को पुलिस ने बदला है।

इसके अलावा कोर्ट को बताया कि उनके मुवक्किल के खिलाफ गैर जमानती वारंट कराने के बाद भगोड़ा घोषित कराने की कार्रवाई शुरू करने का नोटिस उसके घर पर न लगाकर, रिश्तेदार के घर लगाया गया। इस मामले में घायल ने कोर्ट में बयान दिया कि घटना के बाद वह बेहोश हो गए थे, उन्होंने पुलिस को कोई बयान नहीं दिया था। सभी पक्षों पर गौर करते कोर्ट ने आरोपित को अगली सुनवाई तक अंतरिम राहत देते हुए जांच में शामिल होने का निर्देश दिया है। साथ ही आदेश की प्रति दिल्ली पुलिस आयुक्त को भेज रिपोर्ट मांगी है।


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