दिल्ली में किस क्लास तक के स्कूल खोले जाएं और किस तक नहीं? शिक्षाविदों ने दी अपनी राय
School Reopening Latest News शिक्षाविदों की राय है कि राजधानी दिल्ली में फिलहाल 9वीं से 12वीं के छात्रों के लिए स्कूलों को खोला जाना चाहिए लेकिन 8वीं तक के लिए खोलना सही नहीं रहेगा। उन्होंने बताया कि स्कूलों को नहीं खोलने से छात्रों का नुकसान हो रहा है।
नई दिल्ली [रीतिका मिश्रा]। कई राज्यों में स्कूल खुल चुके हैं। इधर दिल्ली में भी स्कूल खोले जाने की चर्चाएं चल रही हैं। शिक्षाविदों का कहना है कि डेढ़ साल से स्कूल बंद हैं। लंबे समय तक स्कूलों को बंद रखना छात्रों के हित के लिए सही नहीं है। ऐसे में शिक्षाविदों की राय है कि राजधानी दिल्ली में फिलहाल 9वीं से 12वीं के छात्रों के लिए स्कूलों को खोला जाना चाहिए, लेकिन 8वीं तक के लिए खोलना सही नहीं रहेगा।
उनका कहना है कि 10वीं-12वीं के छात्रों को अगले साल बोर्ड परीक्षाएं भी देनी हैं। हालांकि, स्कूल खोलने से पहले स्कूलों को भी कोरोना के सभी नियमों का पालन करना होगा। ताकि अभिभावकों को भी भरोसा रहे कि उनका बच्चा स्कूल में सुरक्षित है। इसके साथ ही सरकार को स्कूलों में नियमित कक्षाएं लगवाने से पहले कुछ वैकल्पिक उपायों पर काम करने की जरूरत है।
स्कूल खोलने से पहले सरकार बनाए नीति
शिक्षाविदों का कहना है कि राजधानी में स्कूल खोले से पहले सरकार इस पर भी एक नीति बनाए कि स्कूलों में छात्र पहुंचेंगे कैसे। हर किसी के पास खुद का साधन नहीं है। छात्र सार्वजनिक वाहनों का कम से कम उपयोग करें इस पर भी सरकार को दिशा -निर्देश जारी करने की जरूरत है।
मेजर हर्ष कुमार (सचिव, एनसीईआरटी) का कहना है कि 9वीं-12वीं तक के छात्रों के लिए स्कूल खोलने की आवश्यकता है। इन छात्रों को प्रायोगिक परीक्षाएं भी देनी है। फिलहाल सरकार सितंबर तक रुककर कोरोना की परिस्थितियों का आंकलन करे। अगर स्थितियां ठीक लगती हैं तो पहले 9वीं -12वीं तक के छात्रों को स्कूल बुलाया जा सकता है। लेकिन पहले प्रायोगिक विषयों के लिए स्कूलों को खोलने के लिए तैयार रखें। एकदम से नियमित स्कूल खोलना सही नहीं होगा।
मनोज वर्घीज (शिक्षाविद) का कहना है कि इस समय स्कूल खोलना बहुत जरूरी है। लंबे समय से स्कूल बंद होने की वजह से छात्र जोड़- घटाना तक भूले जा रहे हैं। इससे बच्चों की बुनियादी शिक्षा कमजोर हो रही है। अभिभावकों को भी समझने की जरूरत है कि इस वक्त आफलाइन कक्षाओं की छात्रों को बहुत जरूरत है।
प्रेम शंकर झा (पूर्व अतिरिक्त शिक्षा निदेशक, शिक्षा विभाग, दक्षिणी दिल्ली निगम) की मानें तो 10वीं-12वीं के छात्रों के लिए स्कूल खोलने की आवश्यकता है। लेकिन, ये नियमित तौर पर करना सही नहीं होगा। सप्ताह में दो दिन स्कूल खोलना सही रहेगा। उदाहरण के तौर पर सोमवार को केवल प्रायोगिक विषयों की कक्षाएं हों और बृहस्पतिवार को बाकी विषयों की कक्षाएं हों। साथ ही छात्रों को दो पालियों में बुलाना सही रहेगा। जिसमें कि लंच ब्रेक के बिना ही कक्षाएं लगाई जाएं। एक दिन में अधिकतम चार कक्षाएं बहुत हैं।