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19 साल से फरार देशद्रोह आरोपित SIMI का सदस्य अब्दुल्ला दानिश गिरफ्तार, कई मामलों में था वांछित

2001 में न्यू फ्रेंड्स कालोनी थाने में अब्दुल्ला दानिश के खिलाफ देशद्रोह व गैर कानूनी गतिविधियों में लिप्त होने का मामला दर्ज किया गया था। 2002 में निचली अदालत ने उसे भगौड़ा घोषित कर दिया था। अब्दुल्ला सिमी का सबसे वरिष्ठ कैडर में से एक है।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Sun, 06 Dec 2020 07:20 PM (IST)Updated: Sun, 06 Dec 2020 07:20 PM (IST)
19 साल से फरार देशद्रोह आरोपित SIMI का सदस्य अब्दुल्ला दानिश गिरफ्तार, कई मामलों में था वांछित
सीएए व एनआरसी के खिलाफ मुस्लिम युवाओं को भड़काने का भी किया था काम।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने प्रतिबंधित संगठन सिमी के कट्टर सदस्य अब्दुल्ला दानिश को शनिवार को जाकिर नगर से गिरफ्तार किया है। देशद्रोह व गैर कानूनी गतिविधयों में लिप्त होने के मामले में दानिश पिछले 19 सालों से फरार था। 2001 में न्यू फ्रेंड्स कालोनी थाने में अब्दुल्ला दानिश के खिलाफ देशद्रोह व गैर कानूनी गतिविधियों में लिप्त होने का मामला दर्ज किया गया था। 2002 में निचली अदालत ने उसे भगौड़ा घोषित कर दिया था। अब्दुल्ला सिमी का सबसे वरिष्ठ कैडर में से एक है। पिछले 25 वर्षों से दौरान इसने बड़ी संख्या में मुस्लिम युवकों को गुमराह कर कट्टर बनाने की कोशिश की। यह 4 वर्षों तक सिमी पत्रिका इस्लामिक के हिंदी संस्करण का मुख्य संपादक रहा है। 

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डीसीपी स्पेशल सेल प्रमोद सिंह कुशवाहा के मुताबिक एसीपी अतर सिंह व इंस्पेक्टर शिव कुमार करमवीर सिंह के नेतृत्व में एसआइ जितेंद्र, चंद्रवीर, राजेश शर्मा व जयवीर भाटी की टीम ने इसे शनिवार शाम जाकिर नगर से गिरफ्तार किया। 58 वर्षीय दानिश गांव बांडीघाट, मऊ, यूपी का रहने वाला है। वर्तमान में यह सामी अपार्टमेंट, दूधपुर अलीगढ़, उत्तर प्रदेश में रह रहा था। अब्दुल्ला गुजरात, मध्य प्रदेश, दिल्ली, मुंबई, महाराष्ठ आदि देशभर में हुए सीरियल ब्लास्ट के आरोपित सफदर हुसैन नागोरी के परिजनों के लगातार संपर्क में था। उसके बच्चों को पढ़ा रहा था। साथ ही आर्थिक मदद पहुंचा रहा था।

इसके पांच बेटे हैं जिनमें बेटे भी गैर कानूनी गतिविधियों में लिप्त है। अब्दुल्ला सिमी का फाउंडर सदस्य रहा है। संगठन पर प्रतिबंध लगने व कई सदस्याें के गिरफ्तार किए जाने पर बांकी बचे सदसयों ने ही इंडियन मुजाहिद्दीन आतंकी संगठन बनाया था, जिसने देशभर में कई सीरियल ब्लास्ट किए थे। शिव कुमार की टीम पिछले एक साल से अब्दुल्ला के बारे में जानकारी जुटा रही थी। यह उत्तर प्रदेश और दिल्ली-एनसीआर में लगातार सक्रिय था। सीएए व एनआरसी के खिलाफ लामबंद होने के लिए मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बनाने में लिप्त था। यह मुस्लिम युवाओं में कट्टर विचारधारा का प्रचार करते हुए धार्मिकता के बीच भेदभाव पैदा करने का काम कर रहा था। झूठे प्रचार कर मुस्लिम युवाओं को बता रहा था कि सरकार उनपर अत्याचार कर रही है। फर्जी वीडियो के जरिए युवाओं को गुमराह कर रहा था।

सरकार द्वारा सिमी पर प्रतिबंध लगाने के बाद 27 सितंबर 2001 को सिमी के पदाधिकारी जब जामिया नगर स्थित अपने मुख्यालय के पास संवाददाता सम्मेलन कर रहे थे तभी पुलिस ने छापा मार कई सिमी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया था। अब्दुल्ला वहां से फरार हो गया था। वहां से पुलिस ने सिमी पत्रिकाओं (इस्लामिक मूवमेंट) के उत्तेजक साहित्य, सिमी के ऑडियो, वीडियो, मुख्यालय के पोस्टर, कंप्यूटर, फोटो एल्बम आदि बरामद किए गए थे।

पृष्ठभूमि और आपराधिक गतिविधियां

अब्दुल्ला दानिश ने वर्ष 1985 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से अरबी में एमए किया था।

अलीगढ़, सिमी गतिविधियों का केंद्र होने के कारण पढाई के बाद अब्दुल्ला सिमी में शामिल होने के बाद अत्यधिक कट्टर बन गया। वह सिमी के साप्ताहिक कार्यक्रम भाग लेता ही था साथ ही संगठन में शामिल होने के लिए मुस्लिम युवाओं को प्रेरित करता था। मजबूत उत्साह को देखते हुए सिमी के अध्यक्ष अशरफ जाफरी ने हिंदी के संपादक अब्दुल्ला दानिश को बनाया। वह 1988 से आगले चार साल तक संपादक रहा। गलत तरीके से भारत में मुसलमानों पर अत्याचारों कोहोने की बात उजागर कर अब्दुल्ला ने पत्रिका में कई उत्तेजक लेख लिखे थे। संपादक बनने पर उसे सिमी मुख्यालय, ज़ाकिर नगर में एक कमरा दिया गया था।

अब्दुल्ला, सफदर हुसैन नागोरी, अब्दुस शुभम कुरैशी,नोमान बदर, शहनाज हुसैन, सैफ नाचिन, मो खालिद के साथ सिमी का फाउंडर सदस्य है। 2001 में पुलिस की छापेमारी के समय अब्दुल्ला के साथ ये सभी मौके से फरार हो गए थे, जिनमें कई को बाद गिरफ्तार कर लिया गया। जाकिर नगर से भागने के बाद अब्दुल्ला अलीगढ़ चला गया था और उसके बाद आजमगढ़ में छिपकर गिरफ्तारी से बचने के लिए ठिकानें बदलते रहे। 

खूंखार आतंकवादी अब्दुस सुभान कुरैशी उर्फ तौकीर व अबू बशर को अब्दुल्ला ने भारत सरकार के खिलाफ कुछ कठोर करने के लिए प्रेरित किया था जिसके बाद दोनों ने विस्फोटों की श्रृंखला की योजना बनाई और 2008 में दिल्ली समेत अहमदाबाद में अपने अन्य सहयोगियों की मदद से ब्लास्ट किए थे। अबू बशर अहमदाबाद धमाकों के बाद अलीगढ़ में अब्दुल्ला के घर गया। ब्लास्ट के बाद अब्दुस शुभान कुरैशी उर्फ तौकीर ने केरल और कर्नाटक राज्यों में सिमी कैडरों के लिए शिविर लगाया। 

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