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Lok Sabha Elections 2019 से पहले केजरीवाल सरकार का 22000 गेस्ट टीचर को बड़ा तोहफा

सभी शिक्षकों को हरियाणा की तर्ज तक 60 वर्ष की उम्र तक सेवाएं देने का प्रस्ताव पर एलजी के पास भेजा गया है। मंजूरी के बाद शिक्षकों यह सौगात मिलनी शुरू हो जाएगी।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 07 Mar 2019 08:58 AM (IST)Updated: Thu, 07 Mar 2019 03:09 PM (IST)
Lok Sabha Elections 2019 से पहले केजरीवाल सरकार का 22000 गेस्ट टीचर को बड़ा तोहफा
Lok Sabha Elections 2019 से पहले केजरीवाल सरकार का 22000 गेस्ट टीचर को बड़ा तोहफा

नई दिल्ली, जेएनएन। Lok Sabha Elections 2019. दिल्ली के स्कूलों में वर्षों से काम कर रहे 22 हजार अतिथि शिक्षकों को दिल्ली सरकार ने होली से पहले बड़ा तोहफा दिया है। उनसे संबंधित शिक्षा विभाग के महत्वपूर्ण प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। इस प्रस्ताव पर उपराज्यपाल की मुहर लगने के बाद अतिथि शिक्षकों को बार-बार नौकरी के लिए आवेदन करने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि ये सभी शिक्षक हरियाणा की तर्ज तक 60 वर्ष की उम्र तक सेवाएं देते रहेंगे। मुख्यमंत्री केजरीवाल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया।

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अतिथि शिक्षकों ने इस फैसले का स्वागत किया है। शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि इस प्रस्ताव के तहत दिल्ली में काम कर रहे अतिथि शिक्षक नियमित शिक्षकों की तरह सेवानिवृत होने तक सेवाएं देते रहेंगे। प्रस्ताव पास कर उससे संबंधित फाइल उपराज्यपाल कार्यालय भेज दी गई है।

एलजी की मुहर के बाद हरियाणा की तर्ज पर नियमित शिक्षकों की तरह दे सकेंगे सेवाएं

न्होंने कहा कि दिल्ली सरकार अपने सभी अतिथि शिक्षकों को लेकर काफी गंभीर है। हम चाहते हैं कि उनकी सेवा लगातार जारी रहे। दिल्ली में करीब 22 हजार अतिथि शिक्षक काम कर रहे हैं। पहले इनका वेतन 17 हजार रुपये था, जिसे दिल्ली सरकार ने बढ़ाकर करीब 35 हजार रुपये कर दिया है। इन शिक्षकों का भविष्य अंधकार में आ गया था। दिल्ली सरकार पर अतिथि शिक्षकों के अलावा हाई कोर्ट का भी दबाव है, क्योंकि मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन है। हरियाणा में अतिथि शिक्षकों के लिए नियमित शिक्षकों की तरह व्यवस्थाएं हैं। जब हरियाणा सरकार ने इसे स्वीकृति दी है तो दिल्ली क्यों नहीं दे सकती है।

कैबिनेट की मंजूरी के बाद अब इस प्रस्ताव को उपराज्यपाल की स्वीकृति से लागू किया जा सकता है। उपराज्यपाल के पास इसे स्वीकृति देने का अधिकार है। इस संबंध में वह बुधवार को उपराज्यपाल से मिलने गए और उन्हें पत्र भी सौंपा।

22 हजार शिक्षकों के बिना शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो जाएगी

मनीष सिसोदिया ने कहा कि स्कूलों में अभी परीक्षाएं चल रही हैं। जिनकी कक्षाओं की परीक्षाएं हो चुकी हैं, उनकी कॉपी जांचकर परिणाम घोषित करने हैं। एक अप्रैल से नया शिक्षण सत्र भी शुरू हो जाएगा। ऐसे में बिना 22 हजार शिक्षकों के शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो जाएगी। 58 हजार शिक्षकों में 22 हजार संख्या इन अतिथि शिक्षकों की है। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में गरीब परिवार के बच्चे पढ़ते हैं। दिल्ली की चुनी हुई सरकार स्कूल बनवाएगी, उसे चलाएगी और पढ़ाई करवाएगी, लेकिन उन स्कूलों में कितने शिक्षक रखने हैं यह केंद्र सरकार तय करेगी। ये कहां की व्यवस्था है। शिक्षकों को रखना दिल्ली सरकार के हाथ में नहीं है। क्या यह सही है कि शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता व भर्ती प्रक्रिया केंद्र सरकार तय करे। अतिथि शिक्षक होंगे या नहीं, नियमित होंगे या नहीं, यह सब केंद्र सरकार तय करती है। ऐसे में स्कूल कैसे चलेंगे। मैं दो साल से कह रहा हूं कि अतिथि शिक्षकों को नियमित किया जाए।

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