आम आदमी पार्टी में 'मुखिया' को लेकर दो गुटों में बंटे नेता, बयानबाजी तेज
माना जा रहा है कि AAP में विचारों के टकराव को लेकर छिड़ी के बीच अगले कुछ दिनों में स्थिति निर्णायक मोड़ पर होगी।
नई दिल्ली ( वीके शुक्ला)। आम आदमी पार्टी (AAP) नेता कुमार विश्वास को पार्टी का मुखिया बना दिए जाने की उठी मांग को लेकर रार बढ़ गई है। इस मुद्दे पर पार्टी दो धड़ों में बंटी नजर आ रही। ऐसे में माना जा रहा है कि AAP में विचारों के टकराव को लेकर छिड़ी के बीच अगले कुछ दिनों में स्थिति निर्णायक मोड़ पर होगी।
अन्ना आंदोलन के समय से केजरीवाल के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले कुमार विश्वास पार्टी के संयोजक बनेंगे या पार्टी से बाहर होंगे या फिर मुद्दा ही ठंडा होगा, अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है।
बता दें कि AAP की को समझ पाना किसी के लिए भी आसान नहीं है। यहां बगैर कारण के कुछ नहीं होता है। कोई बात उठती है तो उसका कोई कारण होता है। AAP के अंदरूनी हालात की बात करें तो पार्टी के कई नेता कुमार विश्वास को पार्टी का समर्पित सिपाही नहीं मानते। उनकी मानें तो उन्होंने पार्टी को अभी तक क्या दिया है।
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उनकी किसी भी चुनाव में सक्रिय भागीदारी नहीं रही है। नगर निगम चुनाव के लिए उनके पास समय नहीं था। उनकी मानें तो कुछ लोग बयान देकर ही केवल नेता बने रहना चाहते हैं। ऐसे में जिस तरह से अमानतुल्लाह ने विश्वास के खिलाफ बयान दिया है, उससे सीधा संदेश जा रहा है कि बगैर किसी सरपरस्ती के वे उनके खिलाफ मोर्चा नहीं खोल सकते।
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ऐसे में माना जा रहा है कि अगले सप्ताह में पार्टी में चल रहा घमासान किसी निर्णायक मोड़ पर जरूर पहुंचेगा। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के व्यवहार से जो लोग परिचित हैं वे भलीभांति जानते हैं कि केजरीवाल को पार्टी के सिद्धांतों को तोड़ने वाले लोग पसंद नहीं हैं। उन्हें पसंद नहीं है कि कोई व्यक्ति अनुशासन तोड़े।
वहीं, 26 अप्रैल को निगम चुनाव के आए परिणाम के बाद पार्टी के नेता और कुछ विधायक पार्टी लाइन से हटकर बयानबाजी कर रहे हैं। विधायक केजरीवाल पर AAP संयोजक का पद छोड़ने का दबाव भी बना चुके हैं, मगर केजरीवाल ने उस पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
बताया जा रहा है कि पार्टी के संयोजक का पद छोड़ने की दी गई सलाह से केजरीवाल आहत हैं। ऐसे में वह AAP संयोजक का पद छोड़ सकते हैं। इस आशंका को ध्यान में रखकर पार्टी के नेता उन्हें मना रहे हैं, क्योंकि सभी जानते हैं कि केजरीवाल के नाम पर ही पार्टी खड़ी हुई है।
केजरीवाल ही ऐसे नेता हैं जिनके नाम पर सभी की सहमति है। वह रूठे तो पार्टी खत्म। इसी आशंका से पार्टी के वरिष्ठ नेता उन्हें मनाने की कोशिश में हैं। साथ ही यह भी सच है कि केजरीवाल कुमार विश्वास का बहुत सम्मान करते हैं।