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डॉक्टरों के सामने आया कुष्ठ रोग और प्रजनन क्षमता का अनोखा मामला, अमेरिका के मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुई रिपोर्ट, आप भी जानें

आरएमएल अस्पताल के त्वचा रोग विभाग के डाक्टरों से दिखाया तो पता चला कि युवक को इनफर्टिलिटी की नहीं बल्कि कुष्ठ रोग है। कुष्ठ का इलाज होते ही युवक की प्रजनन क्षमता वापस आ गई और उसे पिता बनने का सुख भी मिला।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Wed, 03 Nov 2021 12:50 PM (IST)Updated: Wed, 03 Nov 2021 12:50 PM (IST)
डॉक्टरों के सामने आया कुष्ठ रोग और प्रजनन क्षमता का अनोखा मामला, अमेरिका के मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुई रिपोर्ट, आप भी जानें
कामयाबी-रोगमुक्त होते ही प्रजनन क्षमता भी ठीक, अमेरिकी जर्नल में रिपोर्ट हुई प्रकाशित।

नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। शादी के बाद पिता न बन पाने के कारण बिहार का 28 वर्षीय युवक इनफर्टिलिटी के इलाज के लिए तीन साल तक भटकता रहा। बाद में युवक ने आरएमएल अस्पताल के त्वचा रोग विभाग के डाक्टरों से दिखाया तो पता चला कि युवक को इनफर्टिलिटी की नहीं, बल्कि कुष्ठ रोग है। कुष्ठ का इलाज होते ही युवक की प्रजनन क्षमता वापस आ गई और उसे पिता बनने का सुख भी मिला। आरएमएल अस्पताल के डाक्टरों ने इस केस स्टडी को अमेरिका के मेडिकल जर्नल (अमेरिकन जर्नल आफ ट्रापिकल मेडिसिन एंड हाईजीन) में प्रकाशित किया है।

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डाक्टरों का दावा है कि कुष्ठ रोग के इलाज के बाद प्रजनन क्षमता पूरी तरह ठीक होने का यह अनोखा मामला है। दरअसल, शादी के बाद पिता न बन पाने के कारण वह स्थानीय डाक्टर के पास इलाज कराने पहुंचा। दिसंबर 2017 में जनरल फिजिशियन ने इनफर्टिलिटी क्लीनिक में इलाज कराने की सलाह दी। इसके बाद वह मार्च 2018 में दिल्ली में इलाज के लिए पहुंचा, पर बीमारी पकड़ में नहीं आई। इसके बाद फरवरी 2020 में वह आरएमएल अस्पताल के त्वचा रोग विभाग में इलाज के लिए पहुंचा। त्वचा रोग विभाग के प्रोफेसर डा. कबीर सरदाना ने कहा कि युवक जब ओपीडी में पहुंचा तब उसके चेहरे पर सूजन थी और गांठ बने हुए थे। चेहरा सहित शरीर के कई हिस्सों की त्वचा पर जख्म जैसे निशान थे।

इस बीमारी की तरफ पहले डाक्टरों ने ध्यान नहीं दिया। युवक भी इनफर्टिलिटी का इलाज करा रहा था। आरएमएल में कुष्ठ रोग की जांच कराई गई। साथ ही इनफर्टिलिटी के विशेषज्ञ डाक्टर से सलाह ली गई। इनफर्टिलिटी के डाक्टर ने बताया कि पर्याप्त स्पर्म नहीं बन रहा है, पर टेस्टेस्टोरान हार्मोन सामान्य है। डा. सरदाना ने कहा कि जांच में कुष्ठ रोग की पहचान होने पर जरूरी दवाएं शुरू की गईं और छह माह बाद दोबारा जांच के लिए बुलाया गया। दोबारा आने पर युवक ने बताया कि दवा शुरू करने के दो माह में ही त्वचा पर बने जख्म काफी हद तक ठीक हो गए। छह माह बाद जब युवक ओपीडी में पहुंचा तब उसकी पत्नी भी 16 सप्ताह की गर्भवती थीं।


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