664 साल पुराने इस तुगलकी किले को पर्यटन के लिए किया जाएगा तैयार
दिल्ली के सबसे पुराने स्मारकों में शामिल इस किले का निर्माण तुगलकों ने पानी की कमी के कारण अपनी राजधानी तुगलकाबाद से बदल यहां बनाने के दौरान किया था।
नई दिल्ली (वीके शुक्ला)। प्राचीन शासकों ने कई स्मारकों और संरचनाओं का निर्माण करके भारत की सुंदरता को बढ़ाने में अपना योगदान दिया है। ऐसा ही एक स्मारक फिरोजशाह कोटला का किला है। इसका निर्माण फिरोजशाह तुगलक द्वारा 1354 में करवाया गया था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) अब यहां संरक्षण कार्य व व्यवस्थाओं में सुधार करने जा रहा है।
एएसआइ का प्रयास है कि किले की दीवारें व अन्य अवशेष जो बचे हैं उनका संरक्षण कर इन्हें बचाए रखा जा सके। यहां पाथ-वे बनाए जाएंगे। जिससे पर्यटकों को आने जाने में असुविधा न हो। इसके अलवा नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) भी अपने स्तर पर यहां काम करेगा।
यह किला दिल्ली के सबसे पुराने स्मारकों में से एक है। इस किले का निर्माण तब हुआ जब तुगलकों ने पानी की कमी के कारण अपनी राजधानी तुगलकाबाद से फिरोजाबाद यानी यहां स्थानांतरित करने का फैसला किया था। किले के अंदर सुंदर उद्यानों, महलों, मस्जिदों और मदरसों का निर्माण किया गया था, यह राजधानी का शाही गढ़ था।
यह किला तुगलक वंश के तीसरे शासक के शासनकाल का प्रतीक है। इसकी बाहरी दीवारें चिकने पत्थर की हैं। जिसकी ऊंचाई 15 मीटर है। किले में एक और चीज जो आपका ध्यान आकर्षित करेगी वह है अशोक का स्तंभ, जो तीन परत वाली पिरामिडीय संरचना के ऊपरी भाग पर स्थित है। फिरोजशाह तुगलक द्वारा अंबाला से दिल्ली लाया गया 13 मीटर ऊंचा यह स्तंभ अशोक के सिद्धांतों को दर्शाता है।
क्या है इसका इतिहास
दिल्ली के पांचवें शहर फिरोजाबाद का निर्माण फिरोजशाह तुगलक ने सन 1351-88 में कराया था। यह शहर हौजखास से लेकर उत्तर में पीर गायब तक फैला हुआ था, लेकिन अब उस शहर का कुछ भाग और दुर्ग ही शेष रह गया है।