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JEE Main Result 2020: दिल्ली के सरकारी स्कूलों के 500 छात्र-छात्राओं ने रचा सफलता का कीर्तिमान

JEE Main Result 2020 जेईई परीक्षा में इन स्कूलों के 500 से अधिक बच्चों ने सफलता हासिल की है। इन बच्चों का संघर्ष और इनकी मेहनत भी काबिलेतारीफ है।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 19 Sep 2020 12:12 PM (IST)Updated: Sat, 19 Sep 2020 12:12 PM (IST)
JEE Main Result 2020: दिल्ली के सरकारी स्कूलों के 500 छात्र-छात्राओं ने रचा सफलता का कीर्तिमान
JEE Main Result 2020: दिल्ली के सरकारी स्कूलों के 500 छात्र-छात्राओं ने रचा सफलता का कीर्तिमान

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। JEE Main Result 2020: दिल्ली सरकार के स्कूलों में शिक्षा का स्तर किस हद तक बेहतर हुआ है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां के बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं। जेईई परीक्षा में इन स्कूलों के 500 से अधिक बच्चों ने सफलता हासिल की है। इन बच्चों का संघर्ष और इनकी मेहनत भी काबिलेतारीफ है। आइए आपको कुछ ऐसे ही बच्चों से रूबबरू कराते हैं।

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स्वास्थ्य खराब होने पर नहीं मानी हार

इस वर्ष (जेईई) संयुक्त प्रवेश परीक्षा में 91.7 फीसद अंकों से उत्तीर्ण होने वाली पाविता अपने हौसले की पक्की हैं। पीतमपुरा ए ब्लॉक के राजकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की छात्रा पाविता इस वर्ष जनवरी माह में यूरिनर ट्रैक इन्फेकशन (यूटीआइ), पीलिया होने की वजह से वह परीक्षा में शामिल नहीं हो सकीं लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। अपने मजबूत इरादों और माता-पिता के सहयोग से फिर से परीक्षा के लिए तैयार हुई और अप्रैल में शामिल हुई। आज जब उन्हें अच्छे अंक प्राप्त हुए हैं तब वह इसका सारा श्रेय अपने अभिभावक को देती हैं। पाविता ने बताया कि उन्हें रात में पढ़ना पसंद है और वह देर रात पढ़ाई करती थी। उन्होंने आखिरी तीन महीनों में ही परीक्षा की पूरी तैयारी कर ली। उनके लिए सबसे कठिन विषय रसायन शास्त्र था लेकिन मेहनत कर उन्होंने सबसे अधिक अंक इसी विषय में पाए। पाविता जईई एडवांस के लिए तैयारी कर रही हैं और भविष्य में वह एयरोस्पेस इंजीनिय¨रग करना चाहती हैं। उनके पिता मनोज कुमार ऐडवर्टाइजर हैं और मां ब्यूटिशियन हैं। पाविता को कहानियां लिखना पसंद है और उन्हें कला शिल्प में भी रुचि है।

लक्ष्य का पता हो तभी मिलेगी सफलता

रोहिणी सेक्टर 3 स्थित सर्वोदय विद्यालय के छात्र विशाल गुप्ता ने इस वर्ष जेईई में 94.94 फीसद अंक प्राप्त किए हैं। मेधावी छात्र होने के कारण विशाल ने शुरू से ही अपने लक्ष्य को लेकर स्पष्ट थे। उन्होंने बताया कि दसवीं कक्षा से ही उन्होंने इसकी तैयारी शुरु कर दी थी। इसके लिए उन्होंने सबसे अधिक ध्यान रसायन शास्त्र और भौतिकी पर दिया। कड़ी मेहनत के साथ उन्होंने ऑनलाइन पढ़ाई भी खूब की। हालांकि स्कूल के शिक्षकों का मार्गदर्शन भी खूब मिला और स्कूल के लैब में उन्होंने अपनी कई विषय की जानकारियों को एकत्रित किया लेकिन उन्हें सबसे अधिक लाभ ऑनलाइन प्राप्त की गई जानकारियों से मिला। स्कूल के अलावा प्रतिदिन करीब पांच घंटे पढ़ाई करने कर तैयारी करते रहे लेकिन उन्होंने कभी भी को¨चग नहीं लिया। वह कहते हैं आज के समय में सरकारी स्कूल काफी बेहतर स्थिति पहुंच चुके हैं जहां मूलभूत सुविधाओं की कमी नहीं है। रमेश के पिता रमेश चंद गुप्ता पेंटर का कार्य करते हैं और वह चाहते हैं कि उनका बेटा अपनी प्रतिभा से एक दिन उनका नाम रोशन करे। विशाल की दिलचस्पी सॉफ्टवेयर इंजीनिय¨रग में है। वह कहते हैं यदि लक्ष्य स्पष्ट हो तो सफलता को पाने में कठिनाईयां कम आती हैं।

ऑटो चालक का बेटा बनना चाहता है अंतरिक्ष विज्ञानी

संगम विहार निवासी नाबिद अख्तर ने घर पर पढ़ाई कर जेईई मेंस की परीक्षा पास की है। नाबिद के पिता जावेद अख्तर ऑटो चलाते हैं लेकिन नाबिद अंतरिक्ष तक उड़ान भरना चाहते हैं। कालकाजी स्थित स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के छात्र नाबिद की अंतरिक्ष विज्ञान में गहरी रुचि है। वह इसरो में वैज्ञानिक बनकर देश की सेवा करना चाहते हैं। नाबिद के पिता जावेद अख्तर ऑटो चलाते हैं। उनके परिवार में उनकी पत्नी और तीन बच्चे हैं। बड़ा बेटा जाकिर हुसैन कॉलेज से स्नातक कर रहा है जबकि बेटी एमकॉम कर रही है। नाबिद ने इस साल इंटर की परीक्षा पास की है। इसके साथ ही उन्होंने जेईई मेंस में भी अपना स्थान बनाया है। नाबिद ने बताया कि उन्होंने घर पर ही पढ़ाई कर 83वां स्थान पाया है। वह अंतरिक्ष के अनसुलझे रहस्यों को सुलझाना चाहते हैं। इसरो के चंद्रयान मिशन की सफलता के बाद से ही उन्हें अंतरिक्ष विज्ञान में रुचि जागी और वह आइआइटी से इंजीनिय¨रग कर अपने सपनों को उड़ान देना चाहते हैं। नाबिद ने बताया कि पिता की आर्थिक स्थिति सही न होने के बाद भी उन्होंने कभी किसी चीज की कमी नहीं होने दी। वह अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता को देते हैं।

बिना कोचिंग के पास की जेईई मेंस की परीक्षा

सूरजमल विहार स्थित राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय के छात्र राज गुप्ता ने जेईई मेंस में 99.25 फीसद अंक प्राप्त किए। इस बात से स्कूल व परिवार में खुशी का माहौल है। राज के पिता अवदेश गुप्ता एक छोटी सी दुकान चलाते हैं, जिससे पूरे घर का खर्च चल रहा है। अवदेश ने बताया कि उनके बेटे ने बिना को¨चग लिए यह परीक्षा पास कि क्योंकि को¨चग दिलाने के लिए वह सक्षम नहीं थे। राज ने बताया कि उन्होंने पूरीक्षा से पहले हर विषय को अच्छे से पढ़ लिया था, जिससे परीक्षा के दिन कोई दिक्कत नहीं हुई। वह पुरानी सीमापुरी में अपने परिवार के साथ रहते हैं। मुंडका स्थित एक कंप्यूटर सेंटर पर उनकी परीक्षा हुई थी। परीक्षा से पहले कोरोना का डर बहुत सता रहा था पर राज ने ठाना था कि यह परीक्षा देनी भी है और इसे पास कर खुद को साबित भी करना है। उन्होंने कहा कि स्कूल के शिक्षकों का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने बहुत अच्छे से पढ़ाया उसी के आधार पर यह परीक्षा दी। 11वीं कक्षा में आते ही सोच लिया था कि जेईई का पेपर देकर इंजीनियर बनना है

आर्थिक संकटों से जूझते हुए पास की परीक्षा

नंदनगरी स्थित राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय के छात्र नीरज ने आर्थिक परिस्थितियां कमजोर होने के बावजूद जेईई की परीक्षा को पास करके यह साबित कर दिया कि मेहनत और लगन के दम पर हम जो चाहते हैं वह हासिल कर सकते हैं। उन्होंने परीक्षा में 97.1204 अंक प्राप्त किए हैं। वह मंडोली एक्सटेंशन में रहते हैं, उनके पिता निरंजन ट्रक ड्राइवर हैं। कोरोना में उनका पूरा काम ठप हो गया था, जिस कारण पूरे परिवार को आर्थिक संकट से जूझना पड़ा और ऐसे में उनके ऊपर जेईई परीक्षा का भी दबाव था। पर नीरज के भाई व बहनों ने उसे हौसला दिया और पढ़ने में बहुत मदद की। उन्होंने खुद घर पर रहकर ही पढ़ाई की। नीरज ने बताया कि उनके शिक्षकों ने भी उनका बहुत साथ दिया। कोरोना के कारण जेईई परीक्षा का काफी विरोध हो रहा था तो परीक्षा देने में डर लग रहा था पर उन्होंने हिम्मत की और पेपर देने गए और आज उनका कदम सफल साबित हुआ। 

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