2019 में दिल्ली सरकार को मिला था आदेश, 5 साल बाद अब पहुंची एलजी के पास फाइल; जानें क्या है पूरा मामला
दिल्ली की जेलों के लिए हाईकोर्ट के आदेश पर पांच साल बाद भी आगंतुक बोर्ड का गठन नहीं हो सका है। एलजी ने इस मामले पर गहरी चिंता जताई है। एलजी ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि उसके बाद चार साल बीत गए और वह सोमवार यानी 30 सितंबर 2024 को अनुमोदन के लिए उनके पास पहुंची है। जानिए पूरी खबर।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली की जेलों के लिए हाइकोर्ट के आदेश पर पांच साल बाद भी आगंतुक बोर्ड का गठन नहीं हो सका है। यह बोर्ड स्वास्थ्य, स्वच्छता और सुरक्षा सहित जेल में बनाए रखी जाने वाली अन्य बुनियादी सुविधाओं के मानकों के बारे में जेल प्रशासन को स्वतंत्र फीडबैक प्रदान करने में अहम भूमिका निभाता है। एलजी ने इस मामले पर गहरी चिंता जताई है। उधर, खबर लिखे जाने तक इस पर सरकार से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली थी।
एलजी ने एक नोट में लिखा है कि हाइकोर्ट ने सितंबर, 2019 में आदेश पारित किया था, जिसमें दिल्ली सरकार को 12 सप्ताह में आगंतुक बोर्ड का गठन करने के स्पष्ट निर्देश दिए थे। जनवरी, 2020 तक बोर्ड गठित हो जाना चाहिए था।
दिल्ली सरकार ने इसे 2020 में दी थी मंजूरी
फाइल में दी गई जानकारी से पता चलता है कि आगंतुक बोर्ड के गठन के प्रस्ताव को पहली बार दिल्ली सरकार के तत्कालीन गृहमंत्री ने अपने स्तर पर सितंबर, 2020 में एक वर्ष के अंतराल के मंजूरी दे दी थी। लेकिन कानून विभाग ने कहा कि इसके लिए एलजी की मंजूरी की आवश्यकता है। कानून के मुताबिक इस मामले पर एलजी की मंजूरी के लिए समय रहते कार्रवाई की जानी चाहिए थी।
30 सितंबर को इसे एलजी के पास अनुमोदन के लिए भेजा गया
एलजी ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि उसके बाद चार साल बीत गए और वह सोमवार यानी 30 सितंबर 2024 को अनुमोदन के लिए उनके पास पहुंची है। बुनियादी मानवाधिकारों से संबंधित और हाइकोर्ट द्वारा निगरानी किए जाने वाले इस मामले को दिल्ली के तत्कालीन गृहमंत्री (गृह) के स्तर पर गंभीरता से नहीं लिया गया। फाइल के अवलोकन से इसकी संवेदनहीनता साफ उजागर होती है।
1 अक्टूबर को होगी मामले पर सुनवाई
उन्होंने कहा कि हाइकोर्ट में सुनवाई से ठीक एक दिन पहले दिनांक 30 सितंबर 2024 को फाइल राजनिवास में पहुंची है। यह स्पष्ट है कि अब दिल्ली सरकार के वकीलों के लिए यह बयान देना एक चलन बन गया है कि फाइल निर्णय के लिए एलजी के पास पड़ी है, जिससे इस सचिवालय को देरी के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है।
एक साधारण निर्णय के लिए पांच वर्षों का इंतजार: LG
बकौल एलजी, 11 सितंबर 2024 की सुनवाई में भी यही कहा गया था। एलजी ने कहा कि मैं इस रवैये का कड़ा विरोध करता हूं जो शासन के स्थापित मानदंडों के विपरीत है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के एक साधारण से निर्णय के लिए पांच वर्षों तक इंतजार करना पड़ा।
उन्होंने आगे कहा कि जिला और सत्र न्यायाधीश को आगंतुक बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त करने, जीएनसीटीडी अधिनियम, 1991 की धारा 45 डी के तहत नामों का एक पैनल भेजने और स्थायी वकील को प्रस्तुत करने के विशिष्ट निर्देश के साथ अधिसूचना में कमियों को दूर करने के निर्देशों के साथ फाइल तदनुसार वापस कर दी गई है।
उन्होंने यह भी कहा कि यह नोट हाईकोर्ट को भेजा जाए ताकि सुनवाई की अगली तारीख यानी एक अक्टूबर 2024 को सही तस्वीर सामने आ सके।