दिल्ली के लाल किला में देख सकेंगे 4000 साल पुरानी सभ्यता के अवशेष, यूपी से जुड़ा है लिंक
यूपी के सिनौली में राज परिवार के ताबूत के साथ नरकंकाल मिले हैं। इनके साथ तीन रथ भी मिले हैं। भारतीय उपमहाद्वीप में यह पहला मौका है जब ताबूत के साथ रथ मिले हैं।
नई दिल्ली (जेएनएन)। बागपत (उत्तर प्रदेश) के सिनौली में 4000 साल पुरानी सभ्यता के मिले अवशेष लोग दिल्ली के लाल किला में देख सकेंगे। बिल्कुल खराब हो चुकी चीजों को भी यहां प्रदर्शित किया जाएगा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की योजना इन्हें प्रतीकात्मक मॉडल बनाने की है।
एएसआइ का कहना है कि इसका मकसद यह बताना है कि ये अवशेष असली रूप में किस तरह से दिखते रहे होंगे। जो साक्ष्य मिले हैं उनमें से अधिकांश काफी ज्यादा खराब हो चुके हैं, इसलिए उन्हें सिनौली से उसी रूप में दिल्ली नहीं लाया जा सकता है। ये अलग-अलग भागों में लाए जाएंगे।
खोदाई कार्य के प्रमुख डॉ. संजय मंजुल हैं। उनका कहना है कि अगले सप्ताह से इन्हें दिल्ली लाने का काम शुरू होगा। इन्हें यहां तक लाना किसी चुनौती से कम नहीं है। खोदाई में मिले तीन रथ, दो ताबूत और एक नरकंकाल को उसी अवस्था में दिल्ली लाना संभव नहीं है। ताबूत दो रथ के साथ मिला है, उसमें मानव कंकाल के साक्ष्य मिल रहे हैं जबकि दूसरे ताबूत में मानक कंकाल है या नहीं इसकी जांच की जानी है। ये अवशेष लाल किला में रखे जाएंगे।
जनता की उत्सुकता को देखते हुए इनके प्रतीकात्मक मॉडल तैयार किए जाएंगे। इस कार्य में कुछ समय लग सकता है। फिलहाल एएसआइ का अभी पूरा ध्यान साक्ष्यों की जांच पर है। इसके लिए पुरातत्व क्षेत्र की अत्याधुनिक तकनीक की मदद ली जाएगी। कार्बन डेटिंग कराई जाएगी, ताकि इनके निश्चित समय का पता चल सके। एक्सरे के लिए डॉक्टरों की मदद ली जाएगी।
गौरतलब है कि सिनौली में राज परिवार के ताबूत के साथ नरकंकाल मिले हैं। इनके साथ तीन रथ भी मिले हैं। भारतीय उपमहाद्वीप में यह पहला मौका है जब ताबूत के साथ रथ मिले हैं। एएसआइ का कहना है कि कंकाल 3800 से चार हजार साल पुराने होने का अनुमान है। यह सभ्यता मेसोपोटामिया जैसी सभ्यता की तरह संपन्न रही होगी। यह सभ्यता उत्तर वैदिक काल के समय की हो सकती है।