MCD Tender Scam: टेंडर घोटाले में हुई 40 लाख रुपये की वसूली, करोड़ों अभी भी बाकी
ठेकेदारों ने पूर्वी दिल्ली नगर निगम के करोड़ों रुपये दबा लिए थे उसमें से अब करीब 40 लाख रुपये लौट आए हैं लेकिन करोड़ों रुपये आने अभी बाकी हैं।
नई दिल्ली [सुधीर कुमार]। टेंडर फार्म भरने में बड़े पैमाने पर हो रही गड़बड़ी को उजागर करने के बाद निगम के अधिकारी कुछ सचेत हुए हैं जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। इस गड़बड़ी में ठेकेदारों ने पूर्वी दिल्ली नगर निगम के करोड़ों रुपये दबा लिए थे, उसमें से अब करीब 40 लाख रुपये लौट आए हैं लेकिन करोड़ों रुपये आने अभी बाकी हैं। लेकिन निगम के आला अधिकारी अभी इस बाबत कुछ भी नहीं बोल रहे हैं कि कितने करोड़ रुपये ठेकेदारों के पास बाकी हैं।
गौरतलब है कि इस मामले को रघुवरपुरा के भाजपा पार्षद व शाहदरा दक्षिणी जोन के डिप्टी चेयरमैन श्याम सुंदर अग्रवाल ने नवंबर माह में जोर-शोर से उठाया था। वह लगातार अधिकारियों के पीछे पड़े रहे जिससे इस पर काम शुरू हुआ। अब जाकर इंजीनियर इन चीफ की ओर से यह जानकारी दी गई है कि करीब 39,88,050 रुपये निगम के खाते में जमा हुए हैं।
यह जानकारी इंजीनियर इन चीफ विजय प्रकाश ने श्याम सुंदर अग्रवाल को पत्र के माध्यम से दी है। अग्रवाल नवंबर से ही इस संबंध में जवाब मांग रहे थे उन्होंने कई पत्र लिखे लेकिन इसे अनसुना किया जा रहा था। हाल में 12 मार्च को उन्होंने फिर से पत्र लिखा और चेतावनी दी कि वह इस मामले को उपराज्यपाल के पास ले जाएंगे, तब इस संबंध में विजय प्रकाश ने 13 मार्च को दिए जवाब में जानकारी दी कि करीब 40 लाख रुपये की वसूली हुई है। लेकिन अभी तक यह नहीं बताया है कि ठेकेदारों के पास कितनी रकम बकाया और इस संबंध में क्या कानूनी कार्रवाई की गई है।
पूर्वी दिल्ली नगर निगम द्वारा कोई भी कार्य करवाया जाता है तो ऑन लाइन टेंडर फार्म निकाले जाते हैं। निगम की वेबसाइट पर जाकर फार्म डाउनलोड करने के लिए ड्राफ्ट नंबर, बैंक का नाम, शाखा का नाम और राशि लिखनी पड़ती है। इस जानकारी के बाद फार्म डाउनलोड हो जाता है। कोई ठेकेदार निगम में फार्म जमा करे या न करे उसे फार्म खरीदने के एवज में ड्राफ्ट निगम कार्यालय में जमा करवाना पड़ता है।
आम तौर पर एक कार्य के लिए 15 से 20 ठेकेदार ऑन लाइन फार्म खरीद लेते हैं, इनमें से पांच या छह ठेकेदार ही फार्म जमा करवाते हैं। ऐसा ठेकेदारों के बीच आपसी तालमेल की वजह से होता है। जो फार्म जमा करवाते हैं वह तो ड्राफ्ट जमा कर देते हैं लेकिन जो फार्म नहीं जमा करवाते हैं वह ड्राफ्ट जमा करवाने के बजाए उसे निरस्त करवा कर राशि खुद ही रख लेते हैं। यह गड़बड़झाला पूर्वी दिल्ली निगम के वर्ष 2012 में हुए गठन के बाद से ही चल रहा है लेकिन अधिकारियों ने इस पर कभी ध्यान ही नहीं दिया। जिससे ठेकेदार इसका भरपूर फायदा उठा रहे हैं। निगम द्वारा हर साल सैकड़ों की संख्या में टेंडर निकाले जाते हैं जिसमें छोटे से लेकर बड़े कार्य होते हैं।
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