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हरियाणा के मारुति कांड में दोषी 31 लोगों की सजा पर बहस पूरी, फैसला आज

दोषी करार दिए गए 31 कर्मचारियों को अदालत द्वारा क्या सजा सुनाई जाती है, इस पर सभी की नजर है।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 18 Mar 2017 08:51 AM (IST)Updated: Sat, 18 Mar 2017 04:55 PM (IST)
हरियाणा के मारुति कांड में दोषी 31 लोगों की सजा पर बहस पूरी, फैसला आज
हरियाणा के मारुति कांड में दोषी 31 लोगों की सजा पर बहस पूरी, फैसला आज

गुरुग्राम (जेएनएन)। मारुति मानेसर हिंसा केस में हरियाणा की एक जिला अदालत ने सप्ताह भर पहले 31 लोगों को दोषी करार दिया था, जबकि इस मामले में अन्य 117 लोग बरी हो गए थे। दोषी करार दिए गए 31 लोगों की सजा पर फैसला शनिवार को होगा। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सजा के लिए सरकारी पक्ष ने अपनी दलील दी। इसके बाद सजा पर अदालत ने फैसला सुरक्ष‌ित रख ल‌िया है। 

बता दें कि अदालत ने 31 श्रमिक आरोपियों में से 13 आरोपियों को हत्या व अन्य आपराधिक धाराओं में दोषी करार दिया है, जिससे श्रमिक संगठनों में रोष है।

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शुक्रवार को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरपी गोयल की अदालत में 31 श्रमिक आरोपियों की सजा पर दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की बहस हुई। विभिन्न श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधि व सदस्य भी बड़ी संख्या में लघु सचिवालय आए थे, ज‌िसे देखते हुए कड़े सुरक्षा इंतजाम क‌िए गए थे।

अदालत ने जिन लोगों को हत्या का दोषी करार किया है। उसमें राम मेहर, संदीप ढिल्लो, राम विलास, पवन कुमार, सर्वजीत सिंह, सोहन कुमार, प्रदीप गुर्जर, अजमेर सिंह, जियालाल, सुरेश कुमार, अमरजीत भांबी व योगेश कुमार हैं। इसके अलावा अन्य 18 लोगों को मारपीट व बलवा करने के आरोप में दोषी पाया गया है।

वहीं, मारुति सुजुकी के मानेसर प्लांट में 18 जुलाई 2012 की घटना को लेकर गुरुग्राम अदालत के निर्णय से आहत विभिन्न कंपनियों के हजारों श्रमिकों ने कंपनियों की कैंटीन के खाने का बहिष्कार किया।

खाने का यह बहिष्कार गुरुग्राम, मानेसर, धारूहेड़ा व बावल स्थित औद्योगिक बेल्ट में काम करने वाले श्रमिकों और कर्मचारियों ने किया। 

फैसले के वक्त जुटेंगे सैकड़ों कर्मचारी

दोषी करार दिए गए कर्मचारियों को अदालत द्वारा क्या सजा सुनाई जाती है, इस पर सभी की नजर है। कर्मचारी नेताओं व ट्रेड यूनियनों का कहना है कि अदालत के निर्णय को सुनने के बाद श्रमिक यूनियनों की बैठक होगी, इसके बाद आगामी रणनीति तय की जाएगी। मामले को ऊपरी अदालत में ले जाया जाएगा।


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