दिल्ली में प्रदूषण के 24 नए हॉट स्पॉट की हुई पहचान, अब कुल 37 जगहों पर प्रदूषण का कहर; देखें लिस्ट
दिल्ली के प्रदूषण की समस्या और गंभीर हो गई है। पर्यावरण विभाग की एक नई रिपोर्ट के अनुसार शहर में 13 पुराने हॉट स्पॉट के अलावा 24 नए क्षेत्रों की पहचान की गई है जहां प्रदूषण का स्तर ज्यादा रहता है। इस बार सर्दियों में प्रदूषण से जंग के दौरान इन नए हॉट स्पॉट पर भी फोकस किया जाएगा और प्रदूषण की रोकथाम के लिए विशेष कदम उठाए जाएंगे।
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। इलाज हुआ नहीं, मर्ज बढ़ता गया...। दिल्ली के प्रदूषण का हाल भी कुछ ऐसा ही है। यहां 13 हॉट स्पॉट तो सालों साल से बने ही हुए हैं, अब इस सूची में 24 नए नाम भी जुड़ गए हैं। हैरानी की बात यह कि कमोबेश हर वर्ष ही इन हॉट स्पॉट पर प्रदूषण की रोकथाम के लिए तमाम कार्य योजनाएं बनाई जाती हैं और बड़े बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन हकीकत पर्यावरण विभाग की रिपोर्ट स्वत: बयां कर रही है।
गौरतलब है कि दिल्ली में लगभग पांच साल पूर्व 13 ऐसे इलाकों की पहचान की गई थी, जहां आमतौर पर प्रदूषण का स्तर ज्यादा रहता है। इन्हें ही प्रदूषण के हॉट स्पॉट के तौर पर पहचाना जाता है। पर्यावरण विभाग की एक नई रिपोर्ट में इन 13 पुराने हॉट स्पॉट के अलावा 24 नए क्षेत्रों की पहचान भी की गई है। इस बार सर्दियों में प्रदूषण से जंग के दौरान इन नए हॉट स्पॉट पर भी फोकस किया जाएगा एवं प्रदूषण की रोकथाम के लिए विशेष कदम उठाए जाएंगे।
प्रदूषण के पुराने 13 हॉट स्पॉट
आनंद विहार, अशोक विहार, बवाना, द्वारका, जहांगीरपुरी, मुंडका, नरेला, ओखला, पंजाबी बाग, आरके पुरम, रोहिणी, विवेक विहार, वजीरपुर।
प्रदूषण के 24 नए हॉट स्पॉट
अलीपुर, आयानगर, बुराड़ी क्रासिंग, सीआरआरआइ मथुरा रोड, करणी सिंह शूटिंग रेंज, डीटीयू, डीयू नार्थ कैंपस, आइजीआइ टी-3, इहबास, आइटीओ, जेएलएन स्टेडियम, लोधी रोड, नजफगढ़, नेशनल स्टेडियम, नेहरू नगर, न्यू मोती बाग, एनएसयूटी, पटपड़गंज, पूसा (न्यू दिल्ली), पूसा (सेंट्रल), शादीपुर, सिरीफोर्ट, सोनिया विहार, श्री अरबिन्दो मार्ग।
प्रदूषण के कारक
टूटी सड़कें, फुटपाथ, कचरे के ढेर, यातायात जाम, खुले में कचरे में आग लगाना, सड़कों से उठती धूल।
क्या किया जाना चाहिए?
तात्कालिक नहीं, दीर्घकालिक कार्ययोजना बनाई जाए। कोई भी कार्ययोजना बनाने के साथ साथ उसके क्रियान्वयन पर भी गंभीरता से ध्यान दिया जाए। संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय हो एवं साप्ताहिक या पाक्षिक स्तर पर रिपोर्ट भी मांगी जाए ताकि परिणाम सामने आ सके। जब कारक भी सामने हों तो उन्हें दूर करने में समय नहीं लगना चाहिए।