नोएडा में बैठे-बैठे US में दिलवा देते थे लोन, 23 लोग गिरफ्तार; मास्टरमाइंड सिर्फ 12वीं पास
फर्जी इंटरनेशनल कॉल सेंटर से अमेरिका में लोगों को लोन देने के नाम पर ठगी का धंधा चल रहा था।
नोएडा (जेएनएन)। फर्जी इंटरनेशनल कॉल सेंटर से अमेरिका में लोगों को लोन देने के नाम पर ठगी का धंधा चल रहा था। मंगलवार को कोतवाली सेक्टर 49 पुलिस ने सेक्टर 59 में संचालित हो रहे फर्जी कॉल सेंटर पर छापेमारी कर संचालक मकराना नागौर राजस्थान के रहने वाले भवानी सिंह बंजारा सहित 23 आरोपितों को गिरफ्तार कर नेटवर्क का पर्दाफाश किया है।
गिरफ्तार आरोपितों में वेस्ट विनोद नगर दिल्ली निवासी धीरज कुमार भी शामिल है। आरोपितों के पास से 23 कंप्यूटर व सीपीयू, मोबाइल फोन, छह इलेक्ट्रानिक चिप एवं 12 डेबिट कार्ड बरामद हुए हैं।
जालसाज एडवांस किस्त और फाइल चार्ज के नाम पर उनसे ट्यून कार्ड का नंबर ले कैश कराकर ठगी को अंजाम देते थे और फिर नंबर बंद कर लेते थे।
ठगी का शिकार हुए लोग अमेरिका के हैं, लिहाजा शिकायत यहां तक नहीं पहुंच पाती थी। मुख्य आरोपित सहित 11 लोग राजस्थान के विभिन्न जनपद के रहने वाले हैं।
एसएसपी डॉ. अजयपाल शर्मा ने बताया कि कॉल सेंटर संचालक भवानी सिंह पहले गुरुग्राम में ठगी करने वाले कॉल सेंटर में काम करता था। इसका एक साथी नितीश वहां पकड़ा भी गया है।
यहां करीब डेढ़ माह पहले से ए-3 सेक्टर 59 में 50 हजार रुपये महीने पर किराये का आफिस लेकर फर्जी इंटरनेशनल कॉल सेंटर खोला था। अन्य सभी आरोपित यहां नौकरी करते थे।
क्षेत्रधिकारी श्वेताभ पाण्डेय ने बताया कि कॉल सेंटर संचालन में भवानी के साथ एक और युवक विनय भी शामिल था। विनय यूएसए के एजेंट से आने वाली रकम को हवाला के जरिये लाता था। उसके पकड़े जाने पर अन्य जानकारी मिल सकेगी।
ट्यून कार्ड का पिन नंबर लेकर होती थी ठगी
विभिन्न कंपनियों से ऑनलाइन डेटा खरीदकर फर्जी कॉल सेंटर से यूएसए में लोगों के लैंडलाइन नंबर पर लोन के नाम पर नोएडा से वाइस मैसेज भेजते थे। मैसेज में संपर्क के लिए यूएसए का ही टोल फ्री नंबर बताया जाता था। ऑफर देखकर लोन लेने के चक्कर में लोग उस नंबर पर फोन करते थे तो कॉल यहां कॉल सेंटर में पहुंचती थी।
फर्जी कॉल सेंटर में बैठे लोग जल्द ही लोन दिलाने का झांसा देते थे। पेडे लोन में 150 डॉलर तक लोन देने की बात कहते थे। इसके बदले छह माह में 200 डॉलर वापस करने की बात होती थी। 200 डॉलर की छह किस्त बनाते थे और एक किस्त एडवांस व फाइल चार्ज के नाम पर उनसे रकम जमा करने के लिए कहा जाता था।
एसएसपी के अनुसार आरोपित ठगी का शिकार होने वाले लोगों से लोन जमा करने की एक किस्त के बराबर ट्यून कार्ड खरीदवाकर उसका 16 अंकों का पिन नंबर ले लेते थे। ट्यून कार्ड का पिन नंबर यूएसए के एजेंट को देते थे और उसके कमीशन के बाद बचे पैसे खुद ले लेते थे।
डॉलर में वहां रकम मिलने पर हवाला के जरिये पैसा इनके पास तक पहुंचने बात सामने आई है। हालांकि एसएसपी ने कहा कि यह जांच का विषय है कि पैसा हवाला के जरिये आता था कि कोई और नेटवर्क था।