2012 Delhi Nirbhaya Case: 'देश में फैला कोरोना, दोषियों को फांसी देने का वक्त सही नहीं' वकील ने कोर्ट में दिया तर्क
2012 Delhi Nirbhaya Case याचिका में दोषियों के वकील ने गुजारिश की है कि फिलहाल देशभर में कोरोना वायरस फैला हुआ है ऐसे में इस समय फांसी देना सही नहीं है।
नई दिल्ली [सुशील गंभीर]। 2012 Delhi Nirbhaya Case: निर्भया के चारों दोषी फांसी से बचने के नए-नए पैंतरे आजमा रहे हैं। इसी कड़ी में दोषियों के वकील एपी सिंह (Advocate AP Singh) ने दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में लंबित याचिकाओं का तर्क देते हुए फांसी टालने की मांग की है। इस याचिका में दोषियों के वकील ने गुजारिश की है कि फिलहाल देशभर में कोरोना वायरस फैला हुआ है, ऐसे में इस समय फांसी देना सही नहीं है।
यहां पर बता दें कि पिछले साल दिसंबर महीने में भी चारों में से एक दोषी अक्षय कुमार सिंह ने अपने वकील एपी सिंह के जरिये सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कुछ ऐसे ही अजब-गजब तर्क दिए थे। इसमें फांसी से राहत देने के लिए दिल्ली की जानलेवा फांसी का जिक्र किया था और कहा था कि लोग जब दिल्ली में प्रदूषण से मर रहे हैं तो फांसी देने का क्या मतलब। इतना ही नहीं, दोषी अक्षय ने अपनी याचिका में दिल्ली के प्रदूषण, सतयुग-कलियुग, महात्मा गांधी और उनके अहिंसा के सिद्धांत का भी जिक्र किया था।
अक्षय ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया था कि दिल्ली में यूं भी हवा और पानी प्रदूषित है। हवा-पानी में प्रदूषण इतना अधिक है कि लोग ज्यादा जी नहीं पा रहे हैं। ऐसे में उम्र घट रही हैं तो ऐसे में मौत (फांसी) की सजा क्यों दी जा रही है।
दोषी अक्षय के वकील एपी सिंह याचिका में कहा था कि वेद-पुराण और उपनिषदों में इस बात का जिक्र है कि त्रेता-सतयुग में लोगों की उम्र हजारों साल की होती थी, इतना ही नहीं द्वापर युग में तो सैकड़ों साल जीते थे। ...और अब कलियुग में लोगों की औसतन उम्र 50-60 साल ही रह गई है।
आज के हालत में एक इंसान लाश से ज्यादा कुछ नहीं है, ऐसे में सजा-ए-मौत का मतलब न्याय के नाम पर एक शख्स को साजिश के तहत मार डालना है। साथ ही वकील ने यह भी कहा था कि सजा सिर्फ अपराधी को मारती है, अपराध को नहीं।