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लाभ का पद मामलाः आप विधायक चुनाव आयोग के खिलाफ फिर पहुंचे हाई कोर्ट

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था आप विधायकों की सुनवाई ठीक से नही हुई है। आयोग दोबारा सुनवाई करे। इसके बाद आयोग ने विधायकों को सुनवाई के लिए बुलाया था।

By Amit SinghEdited By: Published: Sun, 22 Jul 2018 03:15 PM (IST)Updated: Sun, 22 Jul 2018 03:15 PM (IST)
लाभ का पद मामलाः आप विधायक चुनाव आयोग के खिलाफ फिर पहुंचे हाई कोर्ट
लाभ का पद मामलाः आप विधायक चुनाव आयोग के खिलाफ फिर पहुंचे हाई कोर्ट

नई दिल्ली (जेएनएन)। लाभ का पद मामले में आप के 20 विधायक फिर से दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच गए है। दिल्ली सरकार के इन विधायकों ने इस बार हाई कोर्ट में याचिका दायर कर चुनाव आयोग के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें आयोग ने विधायकों को उनके खिलाफ शिकायत देने वालों संग जिरह करने से रोक दिया है। आयोग ने 17 जुलाई को जिरह संबंधी विधायकों की याचिका को खारिज कर दिया था। आयोग अब पूर्व में दिए गए दिल्ली हाई कोर्ट के आदेशानुसार लाभ का पद मामले में सुनवाई कर रहा है। लाभ का पद की परिभाषा तय करने के लिए चुनाव आयोग 23 जुलाई को अंतिम सुनवाई करेगा।

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इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग की सिफारिश और राष्ट्रपति के नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया था, जिसमें 20 आप विधायकों को विधायक रहते हुए लाभ का पद लेने के आरोप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था। दिल्ली हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि आप विधायकों की सुनवाई ठीक से नही हुई है, इसलिए इस मामले में आयोग फिर से सुनवाई करे जिसके बाद चुनाव आयोग ने विधायकों को फिर से सुनवाई के लिए बुलाया था।

जिरह की कोई आवश्यकता नहीं

मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत, चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा और अशोक लवासा ने अपने 70 पन्नों के आदेश में साफ किया है कि लाभ का पद मामले में आरोपी विधायकों द्वारा याचिकाकर्ता से जिरह की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि वह इस मामले की कार्यवाही का गवाह नहीं है। साथ ही प्रतिवादी अपनी अर्जी में दी गई दलील के अनुसार इस मामले में किसी गवाह को पेश किए जाने की जरूरत साबित करने में भी नाकाम रहे हैं।

इस आधार पर आयोग ने याचिकाकर्ता से जिरह की इजाजत देने की गत 16 मई को दायर की गई विधायकों की अर्जी को खारिज कर दिया था। इसमें विधायकों ने पटेल के अलावा दिल्ली विधानसभा और दिल्ली सरकार के उन अधिकारियों से अलग-अलग जिरह करने की इजाजत मांगी थी, जिन्होंने विभिन्न दस्तावेजों सबूतों के आधार पर विधायकों द्वारा बतौर संसदीय सचिव सरकारी खर्च पर काम करने और वित्तीय लाभ लेने की बात कही थी। बता दें कि दिल्ली की सरकार द्वारा संसदीय सचिव नियुक्त किए गए आप के 20 विधायकों को लाभ के पद पर होने की वजह से विधानसभा सदस्यता से अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली पटेल की याचिका पर आयोग सुनवाई कर रहा है।


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