यमुना खादर में अतिक्रमण, अवैध पार्किंग और मलबा डालने से रोकने पर लगा 2.41 करोड़ का जुर्माना, जानिए कितने प्रतिशत हो पाई वसूली
एनजीटी के स्पष्ट निर्देश हैं कि यमुना खादर में मलबा नहीं डाला जा सकता। एनजीटी के निर्देश पर ही दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ चालान करने और उन पर जुर्माना लगाने की कार्रवाई शुरू की।
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। दिल्ली में यमुना नदी तो मृतप्राय हो ही चुकी है, यमुना खादर में अतिक्रमण, अवैध पार्किग और मलबा डालने की समस्या भी बेकाबू होती जा रही है। हालांकि, ऐसा करने वालों के खिलाफ चालान भी काटे जा रहे हैं और उन पर मोटा जुर्माना भी ठोका जा रहा है, लेकिन जुर्माना राशि की वसूली एक चौथाई भी नहीं हो पा रही है। पिछले चार साल के दौरान यह रिकवरी 20 प्रतिशत से भी कम रही है।
एनजीटी के स्पष्ट निर्देश हैं कि यमुना खादर में मलबा नहीं डाला जा सकता। एनजीटी के निर्देश पर ही दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ चालान करने और उन पर जुर्माना लगाने की कार्रवाई शुरू की।
वर्ष 2018 में यहां पहला चालान किया गया। 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया, लेकिन आज तक वसूली नहीं हुई। इसके बाद साल-दर-साल चालानों की संख्या और जुर्माने की राशि, दोनों बढ़ती गई, जबकि रिकवरी ढाक के तीन पात वाली ही रही। आलम यह है कि वर्ष 2018 से 2021 तक चार सालों में कुल 2.41 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है, जबकि वसूली हुई केवल 46.87 लाख रुपये, यानी 20 फीसद से भी कम। डीपीसीसी द्वारा केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय को भेजी गई दिसंबर 2021 की एक रिपोर्ट में यह स्थिति आंकड़ों सहित बयां की गई है।
हालांकि, जब इस विषय में डीपीसीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी से बात की गई तो उनका कहना था कि नियमों का उल्लंघन करने वाले चालान की राशि का भुगतान करने में देरी भले कर सकते हैं, लेकिन बच नहीं सकते। कानूनी प्रविधानों के कारण उन्हें इसका भुगतान करना ही होगा।
2018 से 2021 के दौरान चालानों का ब्योरा
वर्ष कारण संख्या जुर्माना रिकवरी
2018 - मलबा - 01 - 50,000 - 00
2019 मलबा, कचरा - 186 -89,55,000 - 17,85,000
2020 मलबा, पार्किग - 54 - 21,30,000 - 2,85,000
2021 मलबा, पार्किग -216 - 1,14,05,500 - 26,17,500
कुल 929 - 2,41,45,500 - 46,87,500