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1984 anti-Sikh riots case: HC से दोषी करार पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली पुलिस को भेजा नोटिस

31 अक्टूबर 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश के कई हिस्सों में हिंसा भड़की और लोगों ने सिखों को निशाना बनाना शुरू कर दिया था।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 05 Jul 2019 01:49 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jul 2019 01:49 PM (IST)
1984 anti-Sikh riots case: HC से दोषी करार पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली पुलिस को भेजा नोटिस
1984 anti-Sikh riots case: HC से दोषी करार पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली पुलिस को भेजा नोटिस

नई दिल्ली, एएनआइ। 1984 anti-Sikh riots case: 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए सिख विरोध दंगों में सजा पाए दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का रुख किया है। इस पर कोर्ट ने शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अब इस मामले में 23 जुलाई को सुनवाई होगी। इनमें इन दिनों दिल्ली की मंडोली जेल में सजा काट रहे सज्जन कुमार भी शामिल हैं। 

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जानें पूरा मामला

31 अक्टूबर 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश के कई हिस्सों में हिंसा भड़की और लोगों ने सिखों को निशाना बनाना शुरू कर दिया था। दिल्ली में हुआ कत्लेआम के बाद कानपूर में भी सबसे ज्यादा सिखों को मारा गया था।

कानपुर में 300 से अधिक सिखों के मारे जाने और सैकड़ों घर तबाह होने के आरोप लगे थे। हालांकि इस मामले की जांच करने वाले रंगनाथ मिश्रा आयोग ने महज 127 सिखों की मौत को दर्ज किया था। सिखों का आरोप है कि कानपुर में सिखों का कत्लेआम किया गया था, लेकिन इस मामले में बहुत दिनों तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी। बाद में जब एफआईआर दर्ज की गई तो स्टेटस रिपोर्ट में कोई पुख्ता सबूत नहीं होने की बात कहकर केस को खत्म कर दिया गया था।

सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा

गुरुवार को भी सुल्तानपुरी क्षेत्र में हुए सिख विरोधी दंगे के एक मामले की सुनवाई करते हुए पटियाला हाउस कोर्ट में गवाह जोगिद्र सिंह ने मामले में आरोपित सज्जन कुमार की पहचान की थी। सिंह ने कहा कि दंगे में उनके भाई की हत्या कर दी गई थी और सज्जन कुमार भीड़ का नेतृत्व कर रहा था। सज्जन उस भीड़ को दिशा-निर्देश दे रहा था, जो सिख समुदाय के लोगों को मार रही थी।

दिल्ली सिख दंगों को लेकर सज्जन कुमार को दोषी करार देते हुए पिछले साल 17 दिसंबर को दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले में उम्रकैद की सजा सुनाई है। 


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