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Corona Fighter: एक ही परिवार के 11 जनों ने जीती कोरोना से जंग, जानिए कैसे घातक बीमारी को दी मात

हैदरपुर गांव में एक ही परिवार के 11 सदस्यों ने कोरोना को मात दी है। इन लोगों ने बताया कैसे कोरोना को मात देकर स्‍वस्‍थ हुए हैं।

By Prateek KumarEdited By: Published: Thu, 18 Jun 2020 05:06 PM (IST)Updated: Thu, 18 Jun 2020 05:06 PM (IST)
Corona Fighter: एक ही परिवार के 11 जनों ने जीती कोरोना से जंग, जानिए कैसे घातक बीमारी को दी मात
Corona Fighter: एक ही परिवार के 11 जनों ने जीती कोरोना से जंग, जानिए कैसे घातक बीमारी को दी मात

नई दिल्ली [धनंजय मिश्रा]। कोरोना संक्रमण ने जहां लोगों के मन में खौफ पैदा कर दिया है, तो वहीं कुछ ऐसे परिवार हैं, जिन्हाेंने इस घातक महामारी का बेहद दिलेरी के साथ सामना किया और इसे परास्त किया। ऐसे ही हैदरपुर गांव में एक ही परिवार के 11 सदस्यों ने कोरोना को मात दी है। यहीं नही परिवार के घर में रह रहे किरायेदार दंपती भी संक्रमण मुक्त हो गए हैं। कुल मिलाकर एक ही घर में रह रहे 13 लोग कोरोना पॉजिटिव हुए, लेकिन सभी ने मजबूत इच्छाशक्ति के साथ न केवल कोरोना का मुकाबला किया बल्कि इसे परास्त भी किया।

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अस्‍पताल में नौकरी करने के दौरान हुए संक्रमित

कोरोना विजेता परिवार के सदस्य 28 वर्षीय इंदर सरोज सबसे पहले कोरोना पॉजिटिव हुए थे। दैनिक जागरण से बातचीत में उन्होंने बताया कि उनके परिवार में माता, पिता, भाई बहन को मिलाकर 11 सदस्य हैं। वह एक अस्पताल में नौकरी करते हैं। उनके संक्रमित होने के बाद परिवार के बाकी सदस्य भी कोरोना की चपेट में आ गए। यहां तक की किरायदार दंपती भी इस संक्रमण से बच न सके।

मात्र 14 दिनों के क्‍वारंटाइन में हुए ठीक

पता चलने के बाद जहां इंदर का इलाज अस्पताल में चला वहीं परिवार के बाकी सदस्यों को सुल्तानपुरी स्थित क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया। जहां पर 14 दिन रहने के बाद चिकित्सकों ने सभी को घर भेज दिया है।

मानसिक रूप से थे मजबूत

इंदर ने बताया कि इस बीमारी को परास्त करने के लिए मानसिक रूप से मजबूत होना बहुत जरूरी है। परिवार के सभी सदस्य कोरोना के चपेट में आए, लेकिन हम लोग मानसिक रूप से मजबूत रहे। चिकित्सकों के द्वारा बताए गए दिशा-निर्देशों को पालन किया। उन्होंने बताया कि फिलहाल परिवार के सभी सदस्य स्वस्थ हैं।

आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है परिवार

इंदर ने बताया कि वही परिवार की आर्थिक जरूरतें पूरी करते थे। उनके पिता फूलचंद लॉकडाउन से पहले मजदूरी कर रहे थे। लेकिन, अब वह मजदूरी करने की हालत में नहीं है। ऐसे में बीते दो माह से परिवार आर्थिक समस्याओं से जूझ रहा है।

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