वायु प्रदूषण बढ़ाने में प्रकृति का भी हाथ
दो माह से अधिक समय तक चले लॉकडाउन के दौरान दिल्ली का प्रदूषण बहुत तेजी से कम हुआ। ज्यादातर दिनों में हवा अच्छी या सामान्य श्रेणी में रही। लेकिन सभी गतिविधियां बंद होने के बावजूद प्रदूषण न तो खत्म हुआ और न ही न्यूनतम स्तर तक आया। केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन वायु गुणवत्ता निगरानी संस्था सफर इंडिया की मानें तो इसकी वजह स्वयं प्रकृति रही। प्रकृति भी वायु प्रदूषण बढ़ाने और घटाने में योगदान देती है।
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली : दो माह से अधिक समय तक चले लॉकडाउन के दौरान दिल्ली का प्रदूषण बहुत तेजी से कम हुआ। ज्यादातर दिनों में हवा अच्छी या सामान्य श्रेणी में रही, लेकिन सभी गतिविधियां बंद होने के बावजूद प्रदूषण न तो खत्म हुआ और न ही न्यूनतम स्तर तक आया। केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन वायु गुणवत्ता निगरानी संस्था सफर इंडिया की मानें तो इसकी वजह स्वयं प्रकृति रही। प्रकृति भी वायु प्रदूषण बढ़ाने और घटाने में योगदान देती रही।
सफर इंडिया ने लॉकडाउन-1, 2, 3 और 4 की एक समग्र रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट में दिल्ली के प्रमुख प्रदूषक तत्व पीएम 2.5 व नाइट्रोजन डाईऑक्साइड (एनओ 2) की निगरानी की गई। साथ ही पीएम 2.5 की इसी समयावधि के दौरान 2019 के आंकड़ों से भी इसकी तुलना की गई है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन-1 में पीएम 2.5 और एनओ 2 में 50 फीसद तक की कमी दर्ज की गई जबकि लॉकडाउन-2 में कई बार धूल भरी आंधी चलने से प्रदूषक तत्वों में यह गिरावट एक चौथाई से एक तिहाई रह गई। लॉकडाउन-3 में फिर से स्थिति थोड़ा सुधरी, लेकिन लॉकडाउन-1 की बराबरी नहीं कर पाई। लॉकडाउन-4 में सभी स्तरों पर रियायतें मिल जाने से प्रदूषण वापस बढ़ गया। इसी समयावधि के दौरान 2019 के मुकाबले इस साल स्थिति बेहतर ही रही है। 2019 में पीएम 2.5 की औसत मात्रा इन दिनों में 65 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर थी जबकि इस साल यह 55 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रही है। बॉक्स-1
लॉकडाउन के विभिन्न चरणों में पीएम 2.5 और एनओ 2 में दर्ज गई कमी (फीसद में)
पीएम 2.5 एनओ 2
लॉकडाउन-1 50 50
लॉकडाउन-2 30 45
लॉकडाउन-3 45 60
लॉकडाउन-4 15 --- बॉक्स-2
यह सही है दिल्ली के वायु प्रदूषण में सर्वाधिक योगदान औद्योगिक इकाइयों और वाहनों से निकलने वाले धुएं से होता है, लेकिन प्रकृति भी कई बार बड़ी भूमिका निभा देती है। लॉकडाउन के दौरान भी पाकिस्तान व राजस्थान की ओर से चली धूल भरी आंधी ने कई बार प्रदूषण बढ़ाया तो कई बार बारिश ने इसे फिर दबा दिया।
-गुरफान बेग, परियोजना निदेशक, सफर इंडिया