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संग्रहालय सुनाएंगे सेनानियों के बलिदान की गाथा

राज्य ब्यूरो,नई दिल्ली : भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) का इस वर्ष संग्रहालयों के विकास पर ज

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 May 2018 10:12 PM (IST)Updated: Sat, 19 May 2018 10:12 PM (IST)
संग्रहालय सुनाएंगे सेनानियों के बलिदान की गाथा
संग्रहालय सुनाएंगे सेनानियों के बलिदान की गाथा

राज्य ब्यूरो,नई दिल्ली :

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भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) का इस वर्ष संग्रहालयों के विकास पर जोर रहेगा। एएसआइ ने लालकिला स्थित अपने तीन महत्वपूर्ण संग्रहालयों को वर्चुअल बनाने का फैसला लिया है। यहा पहुंचकर पर्यटक नए रूप में इन्हें देख सकेंगे। यहां पर एक क्लिक से संबंधित धरोहर के बारे में सारी जानकारी स्क्रीन पर पर्यटकों के सामने आ जाएगी। आजादी की लड़ाई में स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान की गाथा भी एक क्लिक के साथ सुन सकेंगे।

पुरातात्विक धरोहर खराब न हों, इसके लिए भी उनके रखे जाने वाले कांच के बाक्स आदि में भी बदलाव किया गया है। जो धरोहरें खुले में प्रदर्शित होंगी उनके लिए भी पूरे प्रबंध होंगे। पर्यटक उन्हें देख सकेंगे मगर उन्हें छूकर नुकसान नहीं पहुंचा पाएंगे।

लालकिला में एएसआइ के चार संग्रहालय हैं। इसमें नौबतखाना के ऊपर चल रहा इंडियन वार मेमोरियल संग्रहालय व सलीमगढ़ किला स्थित आजाद हिंद फौज के सैनिकों को बंद करने वाली जेल व इन सैनिकों से संबंधित चीजों की गैलरी शामिल है। सलीमगढ़ किला के इस संग्रहालय को भी नया रूप दिया जाना है मगर इसमें अभी समय लगेगा, जबकि इंडियन वार मेमोरियल संग्रहालय के लिए इमारत तैयार की जा रही है। अंग्रेजों के जमाने की बनी इमारत बी-दो में इस संग्रहालय के संरक्षण का कार्य कराया जा रहा है। इसे भी अगले माह तक बंद कर इसके स्थानांतरण का कार्य शुरू होगा। इसे वर्चुअल संग्रहालय बनाया जाएगा। इसे अंतराष्ट्रीय स्तर पर विकसित किया जाएगा। इसमें आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाएगा। संग्रहालय में पहुंचकर पर्यटक पुराने समय की सच्ची गाथाएं भी सुन सकेंगे।

इसी तरह लालकिला में वर्षो से चल रहा स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय इस समय बंद है। इसे भी आधुनिक तकनीक से लैस किया जा रहा है। इस संग्रहालय में भी सभी कुछ बदला नजर आएगा। लोग यहां पर आजादी से जुड़े विभिन्न प्रसंगों के बारे में भी जान सकेंगे। इसी तरह बंद किए गए मुमताज महल संग्रहालय के लिए अंग्रेजों के जमाने की इमारत को तैयार किया जा रहा है।

पुराना किला में भी संग्रहालय का किया जाएगा विस्तार

एएसआइ ने पुराना किला में सेंट्रल एंटिक्विटी सेक्शन (सीएसी) के तहत अब दुर्लभ पुरातात्विक धरोहरों (एंटिक्विटीज) को प्रदर्शित करने की योजना बनाई है। पहले से चल रहे इस संग्रहालय में अब मुख्य रूप से हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, तक्षशिला, चहुंदड़ो, झुंकर, सरधेरी, राना गुंदरी व शाही गुंबद जैसी साइट्स से खोदाई में मिली धरोहरें प्रदर्शित होंगी। 1947 में जब देश का बंटवारा हुआ तो हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, तक्षशिला व चहुंदड़ो जैसी तमाम साइट्स से मिलीं धरोहरों का बंटवारा हुआ था। बंटवारे में इन साइट्स से मिले कुल खजाने का लगभग 60 फीसद हिस्सा भारत के पास आया। इन धरोहरों को प्रदशित करने के लिए संग्रहालय को तैयार किया जा रहा है। इस धरोहर में दो लाख आइटम शामिल हैं। इस संग्रहालय में भारत के बाहर की साइट्स से मिली पुरातात्विक वस्तुओं के साथ-साथ भारत की कुछ प्रमुख साइट्स जैसे गिदुंड, नोह, नोहर, चक, रंग महल, कालीबंगा, पीली बन्हन, सरदारगढ़, हस्तिनापुर, राजघाट व कौशांबी में हुई पुरातात्विक खोदाई से मिली चीजों को रखा जाएगा।

एएसआइ की योजना इस संग्रहालय को थीम पर आधारित तैयार करने की है, जिसमें पॉटरी, हथियार व कलाकृतिया आदि शामिल होंगी।


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