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शिक्षकों के वेतन का 746 करोड़ खा गए नगर निगम : पाठक

एमसीडी (नगर निगम) कर्मचारियों के वेतन के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी (आप) ने सोमवार को एक बार फिर भाजपा को घेरा। पार्टी के वरिष्ठ नेता दुर्गेश पाठक ने पार्टी मुख्यालय में प्रेस वार्ता कर कहा कि अरविद केजरीवाल सरकार शिक्षकों को अक्टूबर तक वेतन देने के लिए एमसीडी को 746 करोड़ रुपये दे चुकी है लेकिन फिर भी भाजपा ने उन्हें वेतन नहीं दिया और पूरा पैसा खा गई।

By JagranEdited By: Published: Mon, 02 Nov 2020 08:44 PM (IST)Updated: Mon, 02 Nov 2020 08:44 PM (IST)
शिक्षकों के वेतन का 746 करोड़ 
खा गए नगर निगम : पाठक
शिक्षकों के वेतन का 746 करोड़ खा गए नगर निगम : पाठक

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : नगर निगम कर्मचारियों के वेतन के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी (आप) ने सोमवार को एक बार फिर भाजपा को घेरा। पार्टी के वरिष्ठ नेता दुर्गेश पाठक ने पार्टी मुख्यालय में सोमवार को प्रेस वार्ता कर कहा कि अरविद केजरीवाल सरकार शिक्षकों को अक्टूबर तक का वेतन देने के लिए तीनों नगर निगमों को 746 करोड़ रुपये दे चुकी है, फिर भी भाजपा शासित नगर निगमों ने उन्हें वेतन नहीं दिया। सारा का सारा पैसे निगम डकार गए।

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पाठक ने कहा कि दिल्ली सरकार ने शिक्षकों को अक्टूबर तक का वेतन देने के लिए पूर्वी नगर नगर निगम को 175, उत्तरी नगर निगम को 344 करोड़ और दक्षिणी नगर निगम को 227 करोड़ रुपये दिए हैं। पाठक ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता से सवाल किया कि जब दिल्ली सरकार ने वेतन का पैसा दे दिया है तो आज तक शिक्षकों को वेतन क्यों नहीं दिया गया, वो सारा पैसा किसने खाया? आप नेता ने कहा कि भाजपा पिछले 14 सालों से निगम चला रही है। उसने निगम की हालत खराब कर दी है। भाजपा नेताओं के भ्रष्टाचार के चलते आज नगर निगम के डॉक्टर, नर्स, शिक्षक, सफाई कर्मी और अन्य कर्मचारियों को वेतन तक नहीं मिल पा रहा है। निगम के कर्मचारी वेतन की मांग को लेकर धरने पर हैं। शिक्षकों के वेतन के पैसे से भाजपा पार्षद खरीद रहे हैं बड़ी-बड़ी गाड़ियां

पाठक ने कहा कि उत्तरी नगर निगम के स्कूलों के शिक्षक भाजपा प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता के आवास पर धरने पर बैठे हुए हैं। छह महीने से शिक्षकों को वेतन नहीं मिला है। कोरोना काल में उनके वेतन का पैसा खा जाना एक अपराध है। शिक्षकों के वेतन के पैसे से भाजपा के पार्षद बड़ी-बड़ी गाड़ियां खरीद रहे हैं और ऊंचे-ऊंचे बंगले बना रहे हैं। वहीं जिन शिक्षकों का यह पैसा है, वो आज सड़क पर हैं, पुलिस की लाठियां खा रहे हैं।


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