फोड़े के कारण रीढ़ में पस भरने से बच्चे के पैर हुए पैरालाइज्ड
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : कमर या पीठ पर रीढ़ की हड्डी वाले हिस्से पर कोई फोड़ा हो तो उ
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : कमर या पीठ पर रीढ़ की हड्डी वाले हिस्से पर कोई फोड़ा हो तो उसे नजरअंदाज करना स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। ऐसा ही एक मामला शालीमार बाग स्थित मैक्स अस्पताल में सामने आया है, जहां अफगानिस्तान से इलाज के लिए आए हिकमत नामक डेढ़ वर्षीय बच्चे की पीठ पर एक छोटे से फोड़े के कारण पूरी रीढ़ की हड्डी में पस भर गया था। इस वजह से उसकी कमर के नीचे का पूरा हिस्सा पैरालाइज्ड हो गया था। दिल्ली के डॉक्टरों द्वारा दो सर्जरी करने के बाद उसके पैरों की ताकत वापस आ गई है।
डॉक्टरों के अनुसार, बच्चे के जन्म से ही रीढ़ की हड्डी के पास एक फोड़ा था। धीरे-धीरे उसमें पस भर गया। शुरुआत में उसके माता-पिता ने इसको गंभीरता से नहीं लिया। पस आना शुरू होने के तीन महीने बाद उसके पैरों में हलचल बंद हो गई। इसके बाद परिजन उसके इलाज के लिए दिल्ली पहुंचे। अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग की प्रमुख व निदेशक डॉ. सोनल गुप्ता ने कहा कि यहां एमआरआइ जांच कराने पर पता चला कि कमर से लेकर गर्दन तक बच्चे की रीढ़ की हड्डी में पस भर चुका था। रीढ़ के पूरे हिस्से में पस होने के चलते सर्जरी कर उसे निकालना जटिल काम था, फिर भी अप्रैल में दूरबीन की मदद से उसकी पहली सर्जरी की गई। सर्जरी के दो महीने बाद बच्चे के पैर में ताकत आनी शुरू हुई और चार महीने बाद वह दूसरों के सहारे चलने लगा। इस महीने वह दोबारा जांच के लिए दिल्ली आया। जांच में पाया गया कि उसकी रीढ़ की हड्डी में पांच एमएल पस बचा हुआ था। इस कारण वह यूरीन भी नहीं रोक पा रहा था। इसलिए 12 अप्रैल को उसकी दूसरी सर्जरी की गई। बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार है। वह शनिवार को अपने देश चला जाएगा। डॉक्टरों का कहना है कि अस्पतालों में भर्ती होने वाले 10,000 मरीजों में से करीब दो मरीजों को ऐसी परेशानी होती है। बच्चों में यह बीमारी बहुत कम होती है। इसलिए डॉक्टर इसे दुर्लभ सर्जरी की श्रेणी में गिनती कर रहे हैं।