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मां शैलपुत्री की पूजा के साथ चैत्र नवरात्र शुरू

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली : यमुनापार के विभिन्न मंदिरों में मां भगवती के प्रथम स्वरूप शैलपु˜

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Mar 2018 08:19 PM (IST)Updated: Sun, 18 Mar 2018 08:19 PM (IST)
मां शैलपुत्री की पूजा के साथ चैत्र नवरात्र शुरू
मां शैलपुत्री की पूजा के साथ चैत्र नवरात्र शुरू

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली : यमुनापार के विभिन्न मंदिरों में मां भगवती के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा के साथ ही रविवार से चैत्र नवरात्र की शुरुआत हो गई। पहले दिन श्रद्धालु व्रत रखकर माता के दरबार में पूजा-अर्चना के लिए पहुंचे और माता की आराधना कर मन्नतें मांगीं।

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गीता कॉलोनी स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर, प्रीत विहार गुफा वाला मंदिर, नीलम माता मंदिर, श्री राजमाता झंडेवाला मंदिर सहित अन्य मंदिरों में इस तरह का भव्य नजारा देखने को मिला। विभिन्न मंदिरों में भजन संध्या भी हुई। शाहदरा के वेस्ट गोरख पार्क स्थित श्री राजमाता झंडेवाला मंदिर में स्वामी राजेश्वरानंद महाराज के सानिध्य में 108वें नवरात्र शक्ति अनुष्ठान का शुभारंभ हुआ। संस्थान के सह प्रबंधक राम वोहरा ने बताया कि 18 से 25 मार्च तक चलने वाला शक्ति अनुष्ठान वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विधिवत प्रारंभ हुआ और जय देवा मिशन के महापुरुषों ने चंडी यज्ञ में आहुतियां अर्पित की। स्वामी राजेश्वरानंद महाराज ने जनकल्याण व विश्व शांति के लिए नवरात्रि पूर्ण कालीन मौन व्रत भी आरंभ किया। वहीं, यमुना विहार स्थित शिव शक्ति मंदिर में शैलपुत्री की पूजा के साथ ही नववर्ष मनाया गया। इस मौके पर भक्तों के बीच तुलसी वृक्ष और झंडे भी वितरित गए गए।

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नवस्फूर्ति के संचार का परिचायक है भारतीय नववर्ष

महात्यागी चंदू पार्क पुरानी अनारकली स्थित श्री सीताराम संत सेवा मंदिर एवं गोसेवा सदन में भी भारतीय नववर्ष के अभिनंदन के साथ नौ दिवसीय नवरात्र महोत्सव शुरू हुआ। यहां अंतरराष्ट्रीय महात्यागी खालसा के महंत महामंडलेश्वर श्रीराम गो¨वद दास महात्यागी महाराज के सानिध्य में आयोजन किया गया। सुबह भगवा ध्वज लहराकर व मां भगवती की की पूजा अर्चना कर नव संवत्सर 2075 का अभिनंदन किया गया। श्रीराम गो¨वद दास महात्यागी ने कहा कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से प्रारम्भ होने वाला भारतीय नववर्ष समस्त प्राणियों से लेकर पेड़ पौधों तक में नवस्फूर्ति संचारित होने का संदेश देता नजर आता है। क्योंकि, इसी दिन सूर्योदय के साथ ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना का शुभारंभ किया था।


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