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इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर के संस्थापक चेयरमैन मेजर एचपीएस अहलूवालिया का निधन

मेजर अहलूवालिया एक पर्वतारोही भी थे और माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले भारत के शुरुआती पर्वतारोहियों में से एक थे। उन्होंने अपनी आत्मकथा हायर दैन एवरेस्ट भी लिखी है। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि नई दिल्ली के वसंत कुंज में इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर की स्थापना है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Fri, 14 Jan 2022 11:05 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jan 2022 11:10 PM (IST)
इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर के संस्थापक चेयरमैन मेजर एचपीएस अहलूवालिया का निधन
इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर के संस्थापक चेयरमेन मेजर एचपीएस अहलूवालिया।

नई दिल्ली [रणविजय सिंह]।  इंडियन स्पाइनल इंजरी सेन्टर के संस्थापक चेयरमैन पद्म भूषण मेजर एचपीएस अहलूवालिया का शुक्रवार शाम को 85 वर्ष की अवस्था में निधन हो गया। वे सेवानिवृत फौजी के अलावा एक प्रशिक्षित पर्वतारोही, लेखक और समाज सेवक थे। इंडियन स्पाइनल इंजरी सेन्टर अस्पताल प्रशासन के अनुसार अचानक ही उनका निधन हो गया।

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मेजर अहलूवालिया एक पर्वतारोही भी थे और माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले भारत के शुरुआती पर्वतारोहियों में से एक थे। उन्होंने अपनी आत्मकथा 'हायर दैन एवरेस्ट' भी लिखी है। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि नई दिल्ली के वसंत कुंज में इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर की स्थापना है।

दरअसल, पाकिस्तान के साथ 1965 के युद्ध में उनके रीढ़ में गोली लग गई थी। इस वजह से वे व्हील चेयर पर आ गए। उन दौरान देश में रीढ़ की बीमारियों के इलाज के लिए अच्छी सुविधा नहीं थी। इसलिए उन्हें इलाज के लिए विदेश भी भेजा गया था। बाद में उन्होंने रीढ़ की चोट व गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए इंडियन स्पाइन इंजरी सेंटर की स्थापना की। ताकि देश में ही रीढ़ की बीमारियों का विश्वस्तरीय इलाज मिल सके।

मौजूदा समय में इस अस्पताल में रीढ़ की बीमारियों के इलाज के लिए विदेशों से भी मरीज पहुंचते हैं। मेजर अहलूवालिया खेल, पर्यावरण संरक्षण व दिव्यांगों के जीवन स्तर में सुधार के लिए भी अहम योगदान दे चुके हैं। इसके मद्देनजर केंद्र सरकार उन्हें पद्म भूषण, पद्म श्री और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित कर चुकी है। उन्हें तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार भी मिल चुका है। मेजर अहलूवालिया अपने पीछे अपनी पत्नी भोली अहलूवालिया और बेटी सुगंध अहलूवालिया को छोड़ गए हैं।


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