Move to Jagran APP

आइसीयू में जहां कोरोना का मरीज, वहीं जांच

कोरोना के गंभीर संक्रमण से पीड़ित मरीजों के लिए एक-एक पल अहम होता है। इसके मद्देनजर कोरोना अस्पताल में तब्दील एम्स ट्रॉमा सेंटर में एक खास सुविधा विकसित की गई है। इसके तहत कोरोना मरीजों की कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण जांच के लिए आइसीयू में ही मशीन लगाई गई है। इसलिए कोरोना के मरीजों में इंफ्लेमेशन (सूजन) मार्कर ब्लड थक्का होने की समस्या की जांच के लिए ब्लड सैंपल लेकर लैब में भागदौड़ करने की जरूरत नहीं पड़ती। बल्कि आइसीयू में जहां कोरोना का गंभीर मरीज भर्ती होता है वहीं जांच हो जाती है। इसका फायदा यह है कि एक मिनट के अंदर रिपोर्ट मिल जाने से डॉक्टर तुरंत मरीज को जरूरत दवाएं दे पाते हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 30 Sep 2020 07:58 PM (IST)Updated: Thu, 01 Oct 2020 05:04 AM (IST)
आइसीयू में जहां कोरोना का मरीज, वहीं जांच
आइसीयू में जहां कोरोना का मरीज, वहीं जांच

रणविजय सिंह, नई दिल्ली :

loksabha election banner

कोरोना के गंभीर संक्रमण से पीड़ित मरीजों के लिए एक-एक पल अहम होता है। इसके मद्देनजर एम्स ट्रॉमा सेंटर में कोरोना मरीजों की कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण जांच के लिए आइसीयू में ही मशीनें लगाई गई हैं। इसलिए अब कोरोना के मरीजों में इन्फ्लेमेशन (सूजन) मार्कर, रक्त थक्का होने की समस्या की जांच के लिए भागदौड़ करने की जरूरत नहीं पड़ती, बल्कि आइसीयू में ही जांच हो जाती है। इससे फायदा यह होता है कि एक मिनट के अंदर रिपोर्ट मिल जाने से डॉक्टर तुरंत मरीज को जरूरी दवाइयां दे पाते हैं।

ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख डॉ. राजेश मल्होत्रा ने कहा कि कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए ब्लड गैसेज, पैरिटिन, ब्लड गैसेज, पैरिटिन, आइएल-6, डी डाइमर, सीआरपी (सी-रिएक्टिव प्रोटीन) जैसी जांच अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। इन जांचों से मरीजों का इलाज तय होता है। इसलिए आइसीयू में नई मशीनें खरीद कर लगा दी गई हैं। इसका फायदा यह है कि मरीज का ब्लड सैंपल लेकर आइसीयू में ही मशीन से जांच कर ली जाती है। 30 सेकेंड से एक मिनट में ही रिपोर्ट मिल जाती है।

ब्लड गैसेज जांच से मरीज में ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड व पीएच (पावर ऑफ हाइड्रोजन) के स्तर की जांच की जाती है। इससे मरीज के शरीर पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव का पता चलता है। डॉक्टरों के अनुसार कोरोना के गंभीर मरीजों में रक्त के थक्का होने व शरीर के कई हिस्सों में सूजन की समस्या देखी जा रही है। मरीजों के लिए यही चीजें खतरनाक साबित होती हैं। इसलिए डॉक्टर डी डाइमर, आइएल-6, सीआरपी इत्यादि की जांच कराने पर जोर दे रहे हैं। ताकि उचित समय पर दवा देकर रक्त थक्का होने व सूजन की समस्या को रोका जा सके। हालांकि अन्य जांच के लिए सैंपल लैब में ले जाए जाते हैं। एम्स ट्रॉमा सेंटर में कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए 265 बेड की व्यवस्था है। मौजूदा समय में 207 मरीज भर्ती हैं। आइसीयू में 50 वेंटिलेटर वाले बेड हैं। ट्रॉमा सेंटर में गंभीर मरीज इलाज के लिए अधिक पहुंचते हैं। मौजूदा समय में 47 मरीज आइसीयू में भर्ती हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.