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अमेरिका और जर्मनी तक गूंजी दिल्ली के सिंहों की दहाड़

राजधानी के चिड़ियाघर से न केवल देश के कोने-कोने में शेरों की दहाड़ गूंजती है बल्कि दिल्ली के सिहों की दहाड़ शक्तिशाली देश कहे जाने वाले अमेरिका में भी गूंज रही है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 09 Aug 2020 09:27 PM (IST)Updated: Sun, 09 Aug 2020 09:27 PM (IST)
अमेरिका और जर्मनी तक गूंजी दिल्ली के सिंहों की दहाड़
अमेरिका और जर्मनी तक गूंजी दिल्ली के सिंहों की दहाड़

राहुल सिंह, नई दिल्ली

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राजधानी के चिड़ियाघर से न केवल देश के कोने-कोने में शेरों की दहाड़ गूंजती है, बल्कि दिल्ली के सिहों की दहाड़ शक्तिशाली देश कहे जाने वाले अमेरिका में भी गूंज रही है। अमेरिका के अलावा जर्मनी और बांग्लादेश के चिड़ियाघरों में भी दिल्ली चिड़ियाघर से अब तक पांच शेर भेजे जा चुके हैं। हालांकि दिल्ली को इसके बदले जगुआर, बाघ और अफ्रीकी भैंस आदि जानवर मिल चुके हैं। इसके अलावा देश के आधा दर्जन से अधिक चिड़ियाघरों में दिल्ली से शेर भेजे और मंगाए जा चुके हैं।

चिड़ियाघर के निदेशक रमेश कुमार पांडेय ने बताया कि 10 अगस्त को दुनियाभर में विश्व शेर दिवस मनाया जाता है। इसको लेकर दिल्ली के चिड़ियाघर में तैयारियां की जा रही हैं। सोमवार को चिड़ियाघर में शेर के बाड़े के कीपर रामकेश और विनोद वेबिनार के जरिए देश के नागरिकों को शेरों के बारे में बारीकी से जानकारी देंगे। उन्होंने बताया कि दिल्ली के चिड़ियाघर में इन दिनों चार शेर हैं, जिनमें दो नर और दो मादा है। इनके नाम अखिला (9), सुंदरम (9), हेमा (7) और अमन (7) हैं। इनमें अखिला को जन्म से ही पीठ में दिक्कत है, जिसके कारण उसे बाड़े से बाहर नहीं निकाला जाता है। चिड़ियाघर के कीपर उसका विशेष खयाल रखते हैं, जिसमें उसके खाने-पीने पर विशेष जोर रहता है।

निदेशक ने बताया कि दिल्ली के चिड़ियाघर में पहली बार वर्ष 1969 में दो शेर लाए गए थे, जिसके बाद से आज तक दिल्ली में हमेशा शेर मौजूद रहे हैं। दिल्ली में वर्ष 1990 में सबसे अधिक 12 शेर रहे हैं। इसके अलावा 70 के दशक में सबसे कम एक शेर रहा है। उन्होंने बताया कि दिल्ली में वर्ष 1969 से अब तक एक दर्जन से अधिक बार मादा शेर शावकों को जन्म दे चुकी हैं। वहीं, वर्ष 1973 में दिल्ली के चिड़ियाघर से एक नर और एक मादा अमेरिका के शिकागो स्थित लिकन पार्क चिड़ियाघर में भेजे गए थे, जहां से इनके बदले दिल्ली चिड़ियाघर को दो जगुआर मिले थे। इसके बाद वर्ष 1976 में जर्मनी की राजधानी बर्लिन स्थित चिड़ियाघर को एक शेर भेजा गया था, जिसके बदले दिल्ली चिड़ियाघर को एक बाघ और एक अफ्रीकी भैंस मिली थी। वहीं, वर्ष 1987 में बांग्लादेश की राजधानी ढाका स्थित चिड़ियाघर को दो शेर दिए गए थे, जिनके बदले दिल्ली को दो बाघ मिले थे। इसके अलावा देश के हैदराबाद, चंडीगढ़, बड़ौदा, लखनऊ, ग्वालियर, पटना और जूनागढ़ के चिड़ियाघरों से भी शेरों की सहभागिता रही है।

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अमन के लिए तलाशी जा रही शेरनी

चिड़ियाघर के अधिकारियों का कहना है दिल्ली के चिड़ियाघर में चार शेर हैं, जिनमें अखिला की तबियत सही नहीं होने के कारण उसे बाहर नहीं निकाला जाता है। वहीं, सुंदरम और हेमा को एक साथ रखा जाता है। ऐसे में अमन अकेला रहता है तो उसके लिए देश के अलग-अलग चिड़ियाघरों से शेरनी तलाशी जा रही है, जिससे की दोनों को एक बाड़े में रखा जा सके। अधिकारियों की माने तो एक साथ दो जानवरों को रखने से वह आपस में व्यस्त रहते हैं। अकेला जानवर बाड़े में परेशान हो सकता है।

---- विश्व शेर दिवस के मौके पर चिड़ियाघर की ओर से वेबिनार आयोजित किया जाएगा, जिससे लोगों को शेर के बारे में जानकारी दी जा सके। कोरोना संक्रमण के दौरान चिड़ियाघर में शेरों का विशेष खयाल रखा जा रहा है।

-रमेश कुमार पांडेय, निदेशक, चिड़ियाघर दिल्ली


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