Move to Jagran APP

नुकसान का आकलन किए बगैर तय कर ली लैंडफिल साइट

यमुना के बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में कचरा तो दूर मलबा डालने पर भी एनजीटी की रोक है। फिर भी विभिन्न विभागों के अधिकारियों से तालमेल कर पूर्वी निगम ने सोनिया विहार व घोंडा गुजरान में लैंडफिल साइट बनाने का फैसला ले लिया। जबकि यमुना नदी और भूमिगत जल प्रदूषित नहीं हो इसी वजह से एनजीटी ने यहां मलबा व कचरा डालने पर रोक लगाई थी।

By JagranEdited By: Published: Sat, 28 Apr 2018 09:53 PM (IST)Updated: Sat, 28 Apr 2018 09:53 PM (IST)
नुकसान का आकलन किए बगैर तय कर ली लैंडफिल साइट
नुकसान का आकलन किए बगैर तय कर ली लैंडफिल साइट

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली: यमुना के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में कचरा तो दूर, मलबा डालने पर भी एनजीटी ने रोक लगा रखी है। फिर भी विभिन्न विभागों के अधिकारियों से तालमेल कर पूर्वी निगम ने सोनिया विहार व घोंडा गुजरान में लैंडफिल साइट बनाने का फैसला ले लिया। इससे पहले नुकसान का आकलन तक नहीं किया गया।

loksabha election banner

विधायक कपिल मिश्रा कहते हैं कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में लैंडफिल साइट बनाए जाने से क्या-क्या नुकसान होगा, इसे लेकर पूर्वी निगम को एनजीटी में रिपोर्ट पेश करनी थी। लेकिन, रिपोर्ट पेश करने के बजाए पूर्वी निगम ने दिल्ली के पर्यावरण विभाग व केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की मंजूरी ले ली और रिपोर्ट तैयार कर घोंडा गुजरान व सोनिया विहार में लैंडफिल साइट के लिए डीडीए से जगह आवंटित करवा ली। विधायक ने कहा कि पूर्वी निगम ने एनजीटी में सभी तथ्य सही तरीके से पेश नहीं किए। इसके अलावा इससे होने वाले नुकसान को लेकर भी किसी राजनीतिक पार्टी या किसी व्यक्ति विशेष ने एनजीटी में तथ्य नहीं रखे। अब लैंडफिल साइट मामले की तीन मई को सुनवाई होनी है। इस बीच वह भी केस दायर करेंगे।

कई वर्षो से चल रही है नई जगह की तलाश

पूर्वी दिल्ली स्थित गाजीपुर लैंडफिल साइट पर क्षमता से अधिक कूड़ा होने के कारण पिछले कई सालों से नई जगह की तलाश की जा रही है। करीब चार साल पहले सोनिया विहार की जगह चिह्नित की गई थी, लेकिन इस योजना का विधायक कपिल मिश्रा सहित इलाके के अन्य लोगों ने काफी विरोध किया और आखिरकार मामला आगे नहीं बढ़ पाया। इसी बीच निगम ने डीडीए के साथ मिलकर घोंडा गुजरान में जगह चिह्नित की। यह मामला कागजों में ही चल रहा था कि 13 जनवरी 2015 को एनजीटी का फैसला आ गया कि यमुना के बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में कचरा तो दूर, किसी तरह के निर्माण का बचा मलबा भी नहीं डाला जा सकता है। इस फैसले से लैंडफिल साइट बनाने का मामला फिर ठंडे बस्ते में चला गया। गाजीपुर में कचरे का गिर गया था पहाड़

गत वर्ष सितंबर में गाजीपुर लैंडफिल साइट से कचरे का पहाड़ गिरने से दो लोगों की मौत हो गई। इसके बाद नई जगह लैंडफिल साइट बनाने के लिए तेजी से काम शुरू हुआ और पूर्वी निगम ने घोंडा गुजरान में लैंडफिल साइट बनाने के लिए डीडीए से सहमति ली, विरोध शुरू हो गया। मामला फिर एनजीटी में पहुंचा और एनजीटी ने पर्यावरण पर पड़ने वाले असर की रिपोर्ट मांगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.