लाल किला धमाका: बेटे ने कहा 'घर आ रहा हूँ', फिर कभी नहीं लौटा; झकझोर देगी पूरी कहानी
दक्षिणी दिल्ली में, लाल किला ब्लास्ट में शहीद हुए अमर कटारिया के पिता जगदीश कुमार ने बताया कि उनके बेटे ने घर आने से पहले उन्हें फोन किया था। अमर, जो भागीरथ पैलेस में दवा की दुकान चलाते थे, की पहचान कपड़ों और टैटू से हुई। परिवार ने पूरी रात अस्पताल में उसकी तलाश की, लेकिन अगली सुबह शवगृह में उसका पता चला। अमर की शादी चार साल पहले हुई थी और वह अक्सर मेट्रो से यात्रा करते थे।
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लाल किला ब्लास्ट में शहीद हुए अमर कटारिया के पिता जगदीश कुमार ने बताया कि उनके बेटे ने घर आने से पहले उन्हें फोन किया था।
शालिनी देवरानी, दक्षिणी दिल्ली। 'पापा, मैं दुकान से निकल रहा हूँ... आप भी चले जाइए, घर पहुँचकर मिलता हूँ।' बेटे ने घटना से 10 मिनट पहले ही फोन पर यही कहा था। लेकिन कौन कह सकता था कि वो घर नहीं पहुँचेगा। लाल किला ब्लास्ट में शहीद हुए अमर कटारिया के पिता जगदीश कुमार का गला यह कहते हुए भर आया। दक्षिणी दिल्ली के श्रीनिवासपुरी में रहने वाला उनका परिवार गम में डूबा हुआ है।
परिवार में माता-पिता, पत्नी और तीन साल का बेटा है। एक छोटी बहन फरीदाबाद में रहती है। अमर भागीरथ पैलेस में एक पार्टनर के साथ होलसेल की दवा की दुकान चलाते थे, जबकि उनके पिता की मयूर विहार में इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान थी। जगदीश बताते हैं, "मेरा बेटा हमेशा दुकान से निकलने के बाद फ़ोन करता था। उसने शाम को लगभग 6:45 बजे फ़ोन किया। मैं भी अपनी दुकान से निकला और लगभग 7:00 बजे उसे फ़ोन किया, तो दूसरी तरफ़ से एक महिला की आवाज़ आई।
उसने बताया कि लाल किले पर धमाका हुआ है और यह फ़ोन सड़क पर मिला है। मेरे बेटे के पास दो फ़ोन थे, इसलिए मैं दूसरे नंबर पर फ़ोन करता रहा, लेकिन उसने फ़ोन नहीं उठाया। परिवार लाल किले के लिए निकल पड़ा, लेकिन पुलिस ने हमें दरियागंज से आगे जाने से रोक दिया। हमने पूरी रात अस्पताल में पूछताछ की, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली। सुबह शवगृह में बेटे की पहचान का पता चला।
उसका जन्मदिन अगले महीने था, और उसने अपने हाथ पर अपनी पत्नी के नाम का टैटू गुदवाया था।
जगदीश बताते हैं कि उनके बेटे का जन्मदिन अगले महीने, 17 दिसंबर को था। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनका इकलौता बेटा अपने जन्मदिन से पहले ही मर जाएगा। उसके हाथ पर अपनी पत्नी के नाम का टैटू था, और वह उस सुबह काली जैकेट और सफ़ेद शर्ट पहनकर निकला था। उसकी पहचान हो गई थी।
उसके कपड़ों और टैटू से पता चला। उसके बेटे का बैग, बटुआ, चेन और फ़ोन नहीं मिला। अमर की शादी चार साल पहले हुई थी।
जगदीश बताते हैं कि उनके घर में दो कारें हैं। अमर कभी-कभार मेट्रो लेता था। उसकी कार की प्रदूषण सीमा खत्म हो गई थी, इसलिए उसने उस सुबह मेट्रो ली। वापस आते समय, वह कैब, ऑटो या शायद मेट्रो पकड़ने के लिए लाल किला मेट्रो स्टेशन गया और दुर्घटना का शिकार हो गया।

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