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किताब में हुआ खुलासा, 'आडवाणी को बाबरी ढांचा गिरने पर था अफसोस'

अयोध्या में बाबरी मस्जिद को लेकर 'आडवाणी के साथ 32 साल' किताब में सनसनीखेज खुलासा किया गया है।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 27 Jul 2016 02:52 PM (IST)Updated: Wed, 27 Jul 2016 03:39 PM (IST)
किताब में हुआ खुलासा, 'आडवाणी को बाबरी ढांचा गिरने पर था अफसोस'

नई दिल्ली (जेएनएन)। अयोध्या में बाबरी मस्जिद को लेकर 'आडवाणी के साथ 32 साल' किताब में सनसनीखेज खुलासा किया गया है। किताब के मुताबिक, भाजपा के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में दिए अपने भाषण में लगातार कारसेवकों से अपील की थी कि वे बाबरी मस्जिद के गुंबद पर झंडा फहराकर वापस लौट आएं। किताब के लेखक है- विश्वंभर श्रीवास्तव, जो आडवाणी के पूर्व सहयोगी भी हैं।

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आडवाणी ने कहा था, 'ऐसा कोई काम न करें, जिससे शर्मिंदगी उठानी पड़े'

विश्वंभर ने अपनी किसाब में लिखा है, '6 दिसंबर को अयोध्या में जब वह भाषण दे रहे थे, तभी किसी ने उन्हें जानकारी दी कि कारसेवक भगवा झंडा फहराने मस्जिद की गुबंद पर चढ़ गए हैं। आडवाणी ने कारसेवकों से कहा था कि वे ऐसा कोई काम न करें, जिससे शर्मिंदगी उठानी पड़े।'

ढांचे की नींव खोदने की खबर से चेहरे पर उभरे से अफसोस के भाव

किताब के मुताबिक, 'वह अपने भाषण में बार-बार इसकी अपील करते रहे। इतना ही नहीं, उन्होंने कारसेवकों को समझाने के लिए बाकायदा बीजेपी नेता प्रमोद महाजन को घटना स्थल के पास भेजा, लेकिन कुछ देर बाद महाजन ने आकर आडवाणी को बताया कि कारसेवकों ने ढांचे की नींव खोद दी है। विश्वंभर ने लिखा है, यह सुनते ही आडवाणी के चेहरे पर अफसोस के भाव उभर आए थे।

पिछले दिनों किताब की लॉन्चिंग के मौके पर लेखक विश्वंभर श्रीवास्तव ने दावा किया था कि साल 2013 में भाजपा संसदीय दल की बैठक में आडवाणी जाने के लिए तैयार थे। वह गाड़ी में भी बैठ गए थे, लेकिन परिवार से जुड़े कुछ लोगों ने उन्हें ऐसा करने से रोक लिया। हालांकि यह हिस्सा उनकी किताब का अंश नहीं है, लेकिन उन्होंने यह जानकारी एक सवाल के जवाब में दी।

बेटे जयंत को चुनाव नहीं लड़वाया

आडवाणी पर लिखी इस किताब में जिक्र किया गया है कि गुजरात के एक बड़े नेता, आडवाणी के पारिवारिक मित्र और अहमदाबाद के तत्कालीन सांसद हरीन पाठक ने गांधीनगर सीट से आडवाणी के बेटे जयंत को चुनाव लड़वाने की पेशकश की थी, लेकिन आडवाणी ने परिवारवाद की परंपरा का विरोध करते हुए इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। उस समय आडवाणी ने कहा था कि उन्हें परिवारवाद नहीं चलाना।


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