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सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अध्ययन कर फैसला सुनाएगा हाई कोर्ट

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : भीमा-कोरेगांव ¨हसा मामले में महाराष्ट्र की पुणे पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए गौतम नवलखा मामले में दायर याचिका पर बुधवार को लंबी बहस हुई।

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Aug 2018 08:39 PM (IST)Updated: Wed, 29 Aug 2018 08:39 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अध्ययन 
कर फैसला सुनाएगा हाई कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अध्ययन कर फैसला सुनाएगा हाई कोर्ट

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : भीमा-कोरेगांव ¨हसा मामले में महाराष्ट्र की पुणे पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए सोशल एक्टिविस्ट गौतम नवलखा के मामले में दायर याचिका पर बुधवार को लंबी बहस हुई। न्यायमूर्ति एस मुरलीधर व न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने महाराष्ट्र पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी पर कई गंभीर सवाल उठाए। पीठ ने कहा कि वह इस प्रकरण में निचली अदालत द्वारा नवलखा को पुणे की एक अदालत ले जाने को लेकर दिए गए ट्रांजिट रिमांड व गिरफ्तारी की वैधता का परीक्षण करेगी।

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मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद जब पीठ अपना फैसला लिखवा रही थी तभी पुणे पुलिस के वकील एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी ने बताया कि इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट में चल रही एक अन्य सुनवाई में उसने ट्रांजिट रिमांड पर छह सितंबर तक रोक लगा दी है। इस पर नवलखा की वकील नित्या रामकृष्णन ने कहा कि अदालत अपना फैसला सुना दे, हम इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दे देंगे। इस पर पीठ ने कहा कि ऐसे में जब इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दे दिया हो तो फिर इस अदालत के लिए इसका परीक्षण जारी रखना उचित नहीं होगा। अदालत सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अध्ययन कर गुरुवार को अपना निर्देश जारी करेगी।

सुनवाई के दौरान पीठ ने यहां तक टिप्पणी की कि अगर प्रकरण में अन्य गिरफ्तारी वैध साबित भी हो जाती है तब भी वह गौतम नवलखा की गिरफ्तारी को सही नहीं ठहरा सकती। पीठ ने पुणे पुलिस से पूछा कि आखिर क्यों मराठी भाषा में मौजूद दस्तावेजों का अनुवाद कर अदालत व नवलखा को नहीं दिया गया। पीठ ने साकेत कोर्ट के ट्रांजिट रिमांड आदेश पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि बिना अनुवादित दस्तावेजों के आदेश देने से पहले निचली अदालत ने अपने दिमाग का इस्तेमाल क्यों नहीं किया।

एक व्यक्ति की स्वतंत्रता के सवाल को ध्यान में रखते हुए पीठ ने पुणे पुलिस से पूछा कि आखिर कब तक वह अनुवादित दस्तावेज को नवलखा व अदालत को उपलब्ध करा सकेगी। क्या महाराष्ट्र में सभी सरकारी व कानूनी दस्तावेज मराठी में होना अनिवार्य है। इस पर पुणे पुलिस ने कहा कि वह सभी अनुवादित दस्तावेज नवलखा के वकील को उपलब्ध करा देगी। इससे पहले पुणे पुलिस की तरफ से अदालत में बहस कर रहे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी ने अदालत में कहा था कि अनुवादित प्रति अभी तैयार नहीं है। गौरतलब है कि मंगलवार को पुणे पुलिस ने गौतम नवलखा को नेहरू एंक्लेव स्थित घर से गिरफ्तार किया था। नवलखा की तरफ से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि उन्हें दिल्ली से बाहर न ले जाया जाए।


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