Driverless Metro In Delhi: जानिये- चालक रहित मेट्रो के 7 बड़े फायदे, कैसे DMRC को होगा फायदा
Driverless Metro In Delhi करीब 59 किलोमीटर (58.59 किलोमीटर) लंबी पिंक लाइन पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये चालक रहित मेट्रो का परिचालन शुरू हुआ है। मजेंटा लाइन पर पहले ही चालक रहित मेट्रो रफ्तार भर रही है।
नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। दिल्ली मेट्रो की पिंक लाइन पर शिव विहार से मजलिस पार्क के बीच चालक के बगैर मेट्रो ने रफ्तार भरना शुरू कर दिया है। यह दिल्ली मेट्रो की दूसरी लाइन है, जिस पर चालक रहित मेट्रो का परिचालन शुरू हुआ है। इस रूट पर तकरीबन 60 किलोमीटर लंबी लाइन पर मेट्रो रफ्तार भर रही है। फेज-4 में पिंक व मजेंटा लाइन के विस्तार व एरोसिटी-तुगलकाबाद (सिल्वर लाइन) कारिडोर का निर्माण पूरा होने पर दिल्ली में 160 किलोमीटर नेटवर्क पर चालक रहित मेट्रो सेवा उपलब्ध हो जाएगी। तब दिल्ली मेट्रो दुनिया का चौथा सबसे बड़ा चालक रहित मेट्रो नेटवर्क बन जाएगा।
चालक रहित मेट्रो परिचालन के फायदे
- जरूरत पड़ने पर मेट्रो की फ्रिक्वेंसी बढ़ाने में मददगार है यह तकनीक।
- डेढ़ मिनट के अंतराल पर मेट्रो का परिचालन संभव।
- मानवीय गलतियों के कारण परिचालन प्रभावित होने की घटनाएं नहीं होंगी।
- परिचालन में यह तकनीक ज्यादा सुरक्षित।
- सुबह मेट्रो ट्रेनों को परिचालन के लिए ट्रैक पर लाने से पहले मैन्युअली चेकिंग की जरूरत नहीं।
- परिचालन के बाद मेट्रो ट्रेनें डिपो में स्टेबलिंग लाइन पर पार्किंग भी अपने आप हो जाएंगी।
- आवागमन के लिए मेट्रो का इस्तेमाल कर बचा सकते हैं पांच फीसद ईंधन।
दुनिया की पांच बड़ी चालक रहित मेट्रो नेटवर्क
- सिंगापुर- 199 किलोमीटर
- शंघाई- 101.8 किलोमीटर
- क्वालालंपूर- 97.4 किलोमीटर
- दिल्ली मेट्रो- 96.8 किलोमीटर
- दुबई मेट्रो- 89.6 किलोमीटर
गौरतलब है कि केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी व दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने बृहस्पतिवार को करीब 59 किलोमीटर (58.59 किलोमीटर) लंबी पिंक लाइन पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये चालक रहित मेट्रो का परिचालन शुरू किया। हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि चालक रहित मेट्रो नेटवर्क के मामले में दिल्ली मेट्रो अब दुनिया में चौथे स्थान पर पहुंच गई है।
उन्होंने कहा कि मलेशिया की क्वालालंपूर मेट्रो तीसरे स्थान पर है। वहां 97 किलोमीटर से थोड़े ही बड़े नेटवर्क पर चालक रहित मेट्रो का परिचालन होता है। जबकि दिल्ली में अब 96.8 किलोमीटर (करीब 97 किलोमीटर) नेटवर्क पर चालक रहित मेट्रो रफ्तार भरने लगी है। इसलिए दिल्ली मेट्रो व क्वालालंपूर के चालक रहित मेट्रो नेटवर्क में महज आधा किलोमीटर का ही अंतर है। कोरोना महामारी के बीच पिछले साल 28 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मजेंटा लाइन पर बोटेनिकल गार्डन से जनकपुरी पश्चिम के बीच चालक रहित मेट्रो के परिचालन का शुभारंभ किया था। इसके 11 महीने के भीतर ही पिंक लाइन पर चालक रहित मेट्रो का परिचालन शुरू करना दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) की बड़ी कामयाबी है।
उन्होंने कहा कि कोरोना के पहले दिल्ली मेट्रो में प्रतिदिन करीब 65 लाख यात्री सफर कर रहे थे। कोरोना के बाद कई तरह की प्रतिबंधों के कारण यात्रियों की संख्या कम हुई लेकिन अब 100 फीसद बैठने की क्षमता के साथ-साथ मेट्रो कोच में खड़े होकर यात्रियों के सफर करने की स्वीकृति से यात्रियों की संख्या बढ़ेगी। उन्होंने डीजल व पेट्रोल की महंगी कीमतों के संदर्भ में कहा कि पेट्रोलियम उत्पादक देश अपनी मर्जी के मुताबिक कीमतें तय कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में निजी वाहनों से चलने वाले ज्यादातर लोग आवागमन के लिए व्यक्तिगत वाहनों को छोड़कर मेट्रो का इस्तेमाल करें तो तीन-पांच फीसद ईंधन बचा सकते हैं। इससे पेट्रोलियम उत्पादक देशों की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं। अभी देश के 18 शहरों में 730 किलोमीटर नेटवर्क पर मेट्रो का परिचालन हो रहा है। देश में मेट्रो का नेटवर्क बढ़ाने के लिए अभी 16 शहरों में 1046 किलोमीटर नेटवर्क के निर्माण का काम चल रहा है। इसके अलावा छह परियोजनाओं पर अभी विचार चल रहा है। कार्यक्रम को कैलाश गहलोत, केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा व डीएमआरसी के प्रबंध निदेशक मंगू सिंह ने भी संबोधित किया।