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Kisan Tractor Rally: गणतंत्र के गर्व पर राजधानी को मिले इन दागों का जिम्मेदार कौन

किसान ट्रैक्टर परेड के नाम पर दिल्ली की सड़कों पर जमकर उपद्रव हुआ। बसों में तोड़फोड़ पुलिसकर्मियों पर तलवार से हमला किया गया तो उनपर ट्रैक्टर चढ़ाने के प्रयास भी किए गए। यह भी बड़ा प्रश्न है कि आखिर प्रदर्शनकारियों के नेतृत्व का दावा कर रहे नेता कहां थे?

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Tue, 26 Jan 2021 07:05 PM (IST)Updated: Wed, 27 Jan 2021 11:49 AM (IST)
Kisan Tractor Rally: गणतंत्र के गर्व पर राजधानी को मिले इन दागों का जिम्मेदार कौन
नेतृत्व कर रहे लोगों पर थी तय रूट पर ट्रैक्टर परेड निकालने की जिम्मेदारी।

नई दिल्ली, सौरभ श्रीवास्तव किसान ट्रैक्टर परेड के नाम पर दिल्ली की सड़कों पर जमकर उपद्रव हुआ। बसों में तोड़फोड़ की गई, बैरिकेड तोड़े गए, पुलिसकर्मियों पर तलवार व लोहे की राड से हमला हुआ तो उनपर ट्रैक्टर चढ़ाने के प्रयास भी किए गए। हाथों में राड लिए हमलावर उपद्रवियों से जान बचाने के लिए पुलिसकर्मियों को लाल किले में बनी खाई में कूदना पड़ा, जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल भी हुए। देश के सम्मान के प्रतीक लाल किले पर भी तिरंगे के स्थान पर केसरिया झंडा फहराया गया। यह सब तब हुआ, जब किसान नेताओं ने ट्रैक्टर परेड को लेकर दिल्ली पुलिस की तमाम शर्तें मान ली थीं।

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दो माह से शांतिपूर्ण तरीके से धरना दे रहे किसानों के बीच आखिर वो लोग कौन थे, जिन्होंने शर्तों को दरकिनार कर शालीनता की सभी हदें तोड़ते हुए गणतंत्र दिवस पर देश को पूरी दुनिया के सामने शर्मसार किया। वहीं, जिस समय दिल्ली में ये अराजक तत्व उपद्रव कर रहे थे, उस समय प्रदर्शनकारियों के नेतृत्व का दावा करने वाले नेता कहां थे।

राजधानी में मंगलवार को जो कुछ हुआ, वो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण था। कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर जुटे लोगों के बीच में ऐसे अराजक तत्व भी हैं और वे इस तरह उपद्रव करेंगे, इसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। कहा जा रहा था कि प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कुछ लोगों के हाथ में है। वे प्रदर्शनकारियों के बीच भाषणबाजी भी करते थे और कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार से वार्ता में भी शामिल होते थे।

इन्हीं नेताओं ने ट्रैक्टर परेड को लेकर दिल्ली पुलिस के साथ वार्ता की थी और पुलिस की सभी शर्तें मानने की हामी भरी थी, लेकिन ट्रैक्टर परेड जब बेकाबू हुई तो ये नेता नदारद थे। इनमें से कोई भी नेता तय रूट छोड़कर दिल्ली के भीतर बढ़ती परेड को रास्ते पर लाने की कोशिश करता नजर नहीं आया। हालात इस कदर बिगड़ गए कि ट्रैक्टर पर सवार उपद्रवी देश के सत्ता के केंद्र के पांच किलोमीटर के दायरे में आइटीओ तक पहुंच गए और राजपथ की ओर जाने की कोशिश में संयमित होकर ड्यूटी कर रहे पुलिसकर्मियों पर हमला किया। आखिर ये उपद्रवी किसानों के बीच कैसे आ गए। जो लोग अब तक खुद को प्रदर्शनकारियों का नेता कह रहे थे, उन्होंने किसानों के भेष में मौजूद अराजक तत्वों की पहचान क्यों नहीं की।

प्रदर्शनकारी उनके काबू में नहीं थे या उन्होंने पुलिस को धोखे में रखकर देश को दुनिया के सामने शर्मसार किया, दोनों ही परिस्थितियों में वे सवालों के घेरे में हैं। उपद्रव के बाद चौतरफा दबाव में घिरे ये नेता अब सफाई देते नजर आ रहे हैं और वीडियो क्लिप जारी कर उपद्रवियों को शांत रहने व हिंसा न करने की अपील कर रहे हैं। उपद्रव के कारण पटरी से उतर चुके आंदोलन के भविष्य पर भी संशय के बादल छा गए हैं।

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