मुआवजे का मरहम लगाने में फिसड्डी है केजरीवाल सरकार
नवीन गौतम, बाहरी दिल्ली किसी भी हादसे के बाद पीड़ित परिजनों को एक-एक करोड़ रुपये की सहाय
नवीन गौतम, बाहरी दिल्ली
किसी भी हादसे के बाद पीड़ित परिजनों को एक-एक करोड़ रुपये की सहायता देने की घोषणा करने में जरा भी देरी नहीं करने वाले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्रिगण मुआवजा राशि देने में फिसड्डी ही साबित हुए हैं। इसके अलावा निर्माणाधीन स्थलों पर सुरक्षा मानकों के पालन में दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) भी सवालों के घेरे में है।
डीएमआरसी के निर्माणाधीन स्थलों पर प्रति माह औसतन एक बड़ा हादसा होता है, जिसमें एक मजदूर की मौत सहित चार-पांच कामगार घायल होते हैं। मृतकों को मुआवजा दिलाने में दिल्ली सरकार का निर्माण मजदूर बोर्ड उदासीन है। हालांकि इस मामले में मेट्रो अपनी रफ्तार से ही दौड़ रही है। इन तथ्यों से पर्दा आरटीआइ के तहत मांगी जानकारी ने उठाया है।
सूचना के अधिकार के तहत डीएमआरसी ने जानकारी दी कि मेट्रो निर्माणाधीन स्थलों पर पिछले तीन वर्ष के दौरान 31 मजदूरों की मौत हुई और सात गंभीर रूप से घायल हुए। डीएमआरसी के मुताबिक उन्होंने प्रत्येक मृतक के आश्रित को चार-चार लाख रुपये की राशि अपने यहां बनाए गए मजदूर कल्याण कोष से दी और कार्यस्थल पर मौत के लिए नियमानुसार मुआवजा भी दिया। मगर दिल्ली सरकार के निर्माण मजदूर बोर्ड ने महज दो लोगों के आश्रितों को दो-दो लाख रुपये की राशि दी जबकि 29 मृतकों के आश्रितों को बोर्ड की तरफ से कुछ भी नहीं दिया गया। बता दें कि चार मार्च 2016 को अधिसूचना के माध्यम से दिल्ली सरकार के गजट पत्र में यह प्रावधान किया गया था कि यदि किसी मजदूर की कार्यस्थल पर कार्य के दौरान मौत हो जाती है तो मृतक के आश्रितों को दो-दो लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी। चाहे वह निर्माण मजदूर बोर्ड में पंजीकृत न भी हो। इतना ही नहीं पिछले तीन साल के दौरान गंभीर रूप से घायल सात में से केवल एक मजदूर के इलाज के लिए निर्माण मजूदर बोर्ड ने केवल दस हजार रुपये की सहायता राशि दी। यह स्थिति तब है जब निर्माण मजदूर बोर्ड के पास करीब 26 सौ करोड़ रुपये की राशि उसके कोष में है।
-----
बोले आरटीआइ कार्यकर्ता
यह गंभीर मामला है और इसमें डीएमआरसी एवं बोर्ड की उदासीनता हैरान करने वाली है। डीएमआरसी बोर्ड से भी आर्थिक सहायता दिलवा सकता था, लेकिन उसने ऐसा करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। किसी भी बड़ी साइट पर दुर्घटना होने पर कंपनी द्वारा बोर्ड, श्रम विभाग को उसकी तुरंत जानकारी देने का प्रावधान है, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है। इस कारण मृतक के परिजनों को उनका वाजिब हक नहीं मिल पा रहा है।
- थानेश्वर दयाल आदिगौड़