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मिसाइलमैन से जुड़ी यादेंः कलाम को गिफ्ट में सिर्फ किताबें थीं स्वीकार

पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम सुपुर्द-ए-खाक हो गए, लेकिन उनकी यादें हर हिंदुस्तानी के मानस पटल पर अब भी अंकित हैं। वे जनता के राष्ट्रपति थे। शायद यही कारण है कि पूरी जिंदगी उन्होंने आम लोगों की तरह गुजारी।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 06 Aug 2015 08:56 AM (IST)Updated: Thu, 06 Aug 2015 03:04 PM (IST)
मिसाइलमैन से जुड़ी यादेंः कलाम को गिफ्ट में सिर्फ किताबें थीं स्वीकार

नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम सुपुर्द-ए-खाक हो गए, लेकिन उनकी यादें हर हिंदुस्तानी के मानस पटल पर अब भी अंकित हैं। वे जनता के राष्ट्रपति थे। शायद यही कारण है कि पूरी जिंदगी उन्होंने आम लोगों की तरह गुजारी।

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10, राजाजी मार्ग स्थित आवास पर अब उनकी महज यादें बची हैं, लेकिन अब भी लोग इस आवास के दूर से दर्शन करने पहुंच रहे हैं। उनके आवास पर तैनात अधिकारियों के मुताबिक डॉ. कलाम इतने सादगी पसंद थे कि वे टीवी तक नहीं देखते थे। खबरों के लिए वे अखबार पढ़ते थे या फिर रेडियो सुनते थे।

पूरी दुनिया उन्हें मिसाइल मैन, पीपुल प्रेसिडेंट जैसे नामों से संबोधित करती थी, लेकिन मिसाइल मैन टीवी तक नहीं देखते थे। पूर्व राष्ट्रपति के आवास पर सिर्फ एक टीवी उनके निजी स्टाफ के देखने के लिए थी। खबरों के लिए वे अखबार और रेडियो पर आश्रित रहते थे।

एसी और फ्रिज का नहीं करते थे उपयोग

पूर्व राष्ट्रपति सादगी भरा जीवन व्यतीत करते थे। उनके आवास पर तैनात अधिकारियों की मानें तो उनके पास कुल जमा पूंजी के नाम पर 2500 किताबें, एक कलाई घड़ी, छह शर्ट, चार ट्राउजर, तीन सूट और एक जोड़ी जूते थे। उनके पास कार, एसी और फ्रिज नहीं था।

पूर्व राष्ट्रपति का सूट सिलने वाले अमन जैन कहते हैं कि कलाम साहब, साल में सिर्फ दो से तीन सूट ही सिलवाते थे। सादगी भरा जीवन जीना उन्हें पसंद था।

गिफ्ट से था उन्हें परहेज

आवास पर तैनात सुरक्षाकर्मियों की मानें तो पूर्व राष्ट्रपति ने सबको सख्त हिदायत दे रखी थी की किसी से गिफ्ट ना लें। यदि कोई गिफ्ट देने आए तो उसे मना कर दें। गिफ्ट के रूप में यदि किताबें मिलती थी तो भले ही स्वीकार कर लें, लेकिन बाकी गिफ्ट को वह सरकारी खजाने में भिजवा देते थे। यदि पैकेट बंद गिफ्ट आता था तो वह बिना देखे ही शालीनतापूर्वक लेने से मना कर देते थे।

आर्थिक स्रोत, किताबों की रॉयल्टी और पेंशन

दो दशक तक डॉ. कलाम के सचिव रहे सेरिडन ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि पूर्व राष्ट्रपति कलाम दरिद्रता में नहीं मरे, लेकिन उन्होंने विलासिता पूर्वक जिंदगी भी नहीं गुजारी। उन्होंने चार किताबें लिखी थी, जिनसे मिलने वाली रॉयल्टी और पेंशन उनकी आर्थिक स्नोत थी।


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