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जेएनयू में लगातार तीसरे साल जीता वामपंथ गठबंधन

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव 201

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Sep 2018 08:50 PM (IST)Updated: Sun, 16 Sep 2018 08:50 PM (IST)
जेएनयू में लगातार तीसरे साल जीता वामपंथ गठबंधन
जेएनयू में लगातार तीसरे साल जीता वामपंथ गठबंधन

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में वामपंथी संगठनों ने चारों सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि पहली बार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) सभी सीटों पर दूसरे स्थान पर रही। यहां लगातार तीसरी बार वामपंथ संगठनों के गठबंधन ने चारों पदों पर जीत हासिल की है। 2015 में संयुक्त सचिव पद पर एबीवीपी के उम्मीदवार को जीत हासिल मिली थी, अन्य पर वामपंथ संगठनों को सफलता मिली थी। रविवार दोपहर में वामपंथ छात्र संगठनों के जीत की घोषणा होती ही समर्थक खुशी से झूम उठे। समर्थकों ने इस मौके पर एक-दूसरे को रंग लगाकर और अपने झडे लहराकर खुशी मनाई। साथ ही कैंपस में विजयी जुलूस भी निकाला।

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इससे पूर्व शनिवार को मतगणना के दौरान भारी हंगामे और छात्र संगठनों के बीच झड़प के बाद रविवार दोपहर को जेएनयू छात्रसंघ चुनाव 2018 की मतगणना पूरी कर ली गई। इससे पहले 2016 और 2017 में चारों पदों पर वामपंथ छात्र संगठनों के गठबंधन ने जीत दर्ज की थी। 2015 में संयुक्त सचिव पद पर एबीवीपी के उम्मीदवार ने जीत हुई थी। अन्य पदों पर वामपंथ छात्र संगठन ने जीत हासिल की थी।

एबीवीपी चारों पदों पर दूसरे स्थान पर रही। वामपंथ छात्र संगठनों में में आइसा, डीएसएफ और एआईएसएफ जैसे संगठनों ने एक साथ अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव एवं संयुक्त सचिव पदों पर चुनाव लड़ा। रविवार को परिणाम घोषित होते ही जेएनयू में वामपंथ छात्र संगठनों के पैनल में खुशी की लहर फैल गई। वामपंथ संगठनों के समर्थकों ने इस मौके पर एक-दूसरे को रंग लगाकर और अपने झडे लहराकर खुशी मनाई। साथ ही कैंपस में विजयी जुलूस भी निकाला। ये हैं विजेता -

अध्यक्ष पद - एन साई बालाजी

बालाजी मूल रूप से हैदराबाद से सटे एक छोटे से गांव के रहनेवाले हैं। उनके पिता सिविल इंजीनियर हैं। उन्होंने एमए एवं एमफिल की पढ़ाई जेएनयू से की है। अभी जेएनयू में स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज से पीएचडी कर रहे हैं। वह 2014 से अखिल भारतीय छात्र संघ (आइसा) से जुड़े हैं।

छात्र विरोधी नीतियों को बंद करना पड़ेगा : एन साई बालाजी

बालाजी ने कहा कि महिला सुरक्षा एवं यौन उत्पीड़न रोकने के लिए स्थापित की गई जीएस कैश समिति को फिर से बहाल करने के लिए संघर्ष करेंगे। इसे जेएनयू प्रशासन की ओर से बंद कर दिया गया था। साथ ही कैंपस में 283 रुपये एमफिल एवं पीएचडी पाठ्यक्रमों की फीस है। हाल ही में शुरू किए गए इंजीनिय¨रग के नए पाठ्यक्रमों की फीस लाखों रुपये है। इसको कम करने की लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि जेएनयू के कुलपति की तरफ से लंबे समय से छात्र विरोधी नीतियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। कुलपति को हमारी बात माननी पड़ेगी और हमसे मिलना पड़ेगा। उन्हें छात्र विरोधी नीतियों को बंद करना पड़ेगा। उपाध्यक्ष पद - सारिका चौधरी

सारिका 2012 से छात्र राजनीति में सक्रिय हैं। वह मूल रूप से बिहार के मुजफ्फरपुर की रहने वाली हैं। उन्होंने जेएनयू से जर्मन भाषा में बीए किया है। वहीं उन्होंने लेबर एंड डेवपलमेंट स्टडीज में एमए की पढ़ाई की है। वह अभी सेटर फॉर द स्टडी ऑफ रीजनल डेवलपमेट से अर्थशास्त्र में एमफिल कर रही हैं। छात्रों के हित में करेंगे काम : सारिका

सारिका चौधरी ने कहा कि जेएनयू के विद्यार्थियों ने बेहद भारी बहुमत से संयुक्त वाम मोर्चा को विजयी बनाया है। इससे यह साफ है कि जेएनयू के छात्र विश्वविद्यालय प्रशासन के फैसलों से काफी निराश हैं और वह संयुक्त वाम मोर्चा की विचारधारा का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि शनिवार को एबीवीपी की तरफ से जेएनयू छात्रसंघ चुनाव की मतगणना को बाधा पहुंचाने की कोशिश की गई, लेकिन वह नाकाम रहे।

महासचिव पद - एजाज अहमद राथेर

कश्मीर के कुलगाम के रहने वाले एजाज 2012 से छात्र राजनीति में सक्रिय हैं। उन्होंने कश्मीर के अनंतनाग से बीए की पढ़ाई की है। जामिया मिलिया इस्लामिया से इतिहास में एमफिल की पढ़ाई की। अब जेएनयू में इतिहास में ही पीएचडी कर रहे हैं। उनके पिता कश्मीर में शिक्षक थे, जो हाल ही में सेवानिवृत्त हुए हैं। आरक्षित सीटों को कम करने के खिलाफ संघर्ष करेंगे : एजाज अहमद राथेर

जेएनयू में आरक्षित वर्ग की सीटों को कम किया गया है। यह फैसला उचित नहीं है। आरक्षित सीटों की बहाली के लिए संघर्ष करेंगे। जेएनयू कुलपति विद्यार्थियों से नहीं मिलते हैं, लेकिन विद्यार्थियों की एकता को देखकर अब उन्हें हमसे मिलना पड़ेगा। संयुक्त सचिव - अमुथा जयदीप

अमुथा मूल रूप से केरल की रहने वाली हैं। वह छात्र राजनीति में 2009 से सक्रिय हैं। उन्होंने जेएनयू से एमए, एमफिल की हैं। वह अभी जेएनयू के सेटर फॉर मेडिसन एंड कम्युनिटी हेल्थ से पीएचडी कर रही हैं। फेलोशिप को बढ़ाने के साथ कई छात्र हितों के मुद्दों के लिए काम करेंगे : अमुथा

अमुथा ने कहा कि जेएनयू प्रशासन पिछले दो से तीन सालों से अपनी मनमानी कर रहा है। उनकी तरफ से लगातार छात्रों की आवाज को दबाया जा रहा है। जेएनयू छात्र संघ में लगातार तीसरी बार चारों ही पदों पर संयुक्त वाम मोर्चा को जीत मिली है। हम फेलोशिप को बढ़ाने के लिए भी लड़ाई लड़ेंगे। किसको कितने मत मिले

गिने गए वोट - 5170

कुल वोट - 7600

केंद्रीय पैनल (अध्यक्ष ) एन. साई बालाजी (वाम)-2161

ललित पाण्डेय (एबीवीपी)-982

थल्लापल्ली प्रवीण (बापसा)-675

जयंत कुमार जिज्ञासु (छात्र राजद)-540

विकास यादव (एनएसयूआइ)-402

साइब बिलावल (स्वतंत्र)-125

जाहनु कुमार हीर (स्वतंत्र)- 32

निधि मिश्रा (सवर्ण छात्र मोर्चा)-59

नोटा- 128 उपाध्यक्ष

सारिका चौधरी (लेफ्ट यूनिटी)- 2592

गीता बरुआ (एबीवीपी)- 1012

पूर्णचंद्रा नाईक (बापसा)-644

एलके बाबू (एनएसयूआइ)- 457

नोटा- 288 महासचिव

एजाज अहमद राथेर (लेफ्ट)-2423

गणेश गुर्जर (एबीवीपी)- 1123

मो. मोफिजुल आलम (एनएसयूआइ)-328

विशंभरनाथ प्रजापति (बापसा)-827

नोटा- 388 संयुक्त सचिव

अमुथा जयदीप (लेफ्ट)- 2047

वेंकट चौबे (एबीवीपी)-1247

कनकलता यादव (बापसा)- 689

नगुरंग रीना (एनएसयूआइ)- 772

नोटा-144


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