एनएसयूआइ प्रत्याशी विकास का नामांकन रद कर फंसा जेएनयू प्रशासन
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : जवाहर लाल नेहरू (जेएनयू) छात्र संघ चुनाव में अध्यक्ष पद के एनएसयूआ
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : जवाहर लाल नेहरू (जेएनयू) छात्र संघ चुनाव में अध्यक्ष पद के एनएसयूआइ के उम्मीवार विकास यादव का नामांकन रद करके जेएनयू प्रशासन खुद ही फंस गया। विकास की याचिका पर हाई कोर्ट ने जेएनयू प्रशासन पर नाराजगी जाहिर की। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल ने कहा कि जुर्माना जमा करने के मामले में हाई कोर्ट ने 26 जुलाई को याचिका का निपटारा होने तक विकास के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने का आदेश दिया था। यथास्थिति बनाने के मामले का निस्तारण किए बगैर यदि आप फैसला कर सकते हैं तो याचिकाकर्ता की अपील पर भी सुनवाई कर सकते हैं।
पीठ ने नामांकन रद करने के जेएनयू चुनाव समिति के फैसले को आधारहीन बताया क्योंकि याची को यह नहीं बताया गया था कि उनके खिलाफ शिकायत है और इसी कारण उनका नामांकन रद किया जा सकता है। पीठ ने कहा कि आपने याचिकाकर्ता को उसके खिलाफ आई शिकायत के साथ कारण बताओ नोटिस क्यों नहीं भेजा। पीठ ने कहा कि याची क्या जवाब देता और कैसे।
पीठ ने मामले में जेएनयू प्रशासन, शिकायत निवारण समिति व चीफ प्रॉक्टर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। पीठ ने निर्देश दिया कि अगली सुनवाई तक जेएनयू चुनाव समिति के फैसले पर लगी रोक प्रभावी रहेगी। मामले में अगली सुनवाई 27 नवंबर को होगी।
वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद व अधिवक्ता निखिल भल्ला ने विकास की तरफ से अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को 12 बजकर 17 मिनट पर ई-मेल के जरिये कारण बताओ नोटिस जारी कर उसी दिन 12 बजकर 30 मिनट पर शिकायत निवारण समिति के समक्ष पेश होने को कहा गया था। जब विकास यादव को ई-मेल के बारे में पता चला और वह समिति के सामने पहुंचे तो उन्हें समिति ने बताया कि जुर्माना की धनराशि न भरने के कारण उनका नामांकन रद कर दिया गया है। याचिका के अनुसार, विकास ने जुर्माने को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी और 26 जुलाई को अदालत ने मामले में अंतिम फैसला न होने तक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी थी।
बता दें कि विकास यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पकौड़े तलने से संबंधित बयान के खिलाफ जेएनयू में पकौड़े तलने का कार्यक्रम किया था। इस पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने कई छात्रों पर करीब दस से 20 हजार रुपये तक जुर्माना लगाया था। इसमें विकास यादव का भी नाम शामिल था। इसी मामले को लेकर 7 सितंबर को जेएनयू चुनाव समिति ने विकास यादव को ई-मेल करके उनका नामांकन रद करने की बात कही थी।