बगैर अनुमति आरोप पत्र दाखिल करने पर पुलिस को फटकार
दिल्ली सरकार के कानून विभाग की अनुमति लिए बगैर जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) देशद्रोह मामले में आरोप पत्र दाखिल करने पर पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को आड़े हाथ लिया। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को फटकार लगाते हुए अदालत ने सवाल उठाया कि आखिर मामले में आरोप पत्र दाखिल करने से पहले दिल्ली सरकार से इजाजत क्यों नहीं ली गई?
जेएनयू प्रकरण
- अदालत ने 6 फरवरी तक के लिए टाली सुनवाई
- स्पेशल सेल ने कहा, 10 दिन के भीतर ले लेंगे अनुमति
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : दिल्ली सरकार के कानून विभाग से अनुमति लिए बगैर जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) देशद्रोह मामले में आरोप पत्र दाखिल करने पर पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को आड़े हाथों लिया। अदालत ने सवाल उठाया कि आखिर आरोप पत्र दाखिल करने से पहले दिल्ली सरकार से इजाजत क्यों नहीं ली गई? महानगर दंडाधिकारी दीपक शेरावत ने पूछा कि क्या आपके (दिल्ली पुलिस) पास कानून विभाग नहीं है? अदालत ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि जब तक दिल्ली सरकार इस मामले में आरोप पत्र दाखिल करने की इजाजत नहीं दे देती, तब तक अदालत इस पर संज्ञान नहीं लेगी।
इस पर दिल्ली पुलिस की तरफ से कहा गया कि वह आगामी 10 दिनों में अनुमति ले लेगी। इसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई 6 फरवरी तक के लिए टाल दी।
14 जनवरी को दाखिल किए गए आरोप पत्र में स्पेशल सेल ने जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार, डेमोक्रेटिक स्टूडेंट यूनियन के सदस्य उमर खालिद व इतिहास विषय के शोधार्थी अनिर्बान भट्टाचार्य समेत 10 को आरोपित बनाया गया है। इनमें सात जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं। इसके अलावा संदिग्ध के रूप में 36 लोगों को आरोपित बनाया है। आरोप पत्र में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के साथ ही फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट, सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल फुटेज और डॉक्यूमेंट्री दस्तावेज भी शामिल हैं।
9 फरवरी 2016 की रात जेएनयू कैंपस में आयोजित कार्यक्रम में देश विरोधी नारे लगे थे। इस मामले में वसंत कुंज नॉर्थ थाने में रिपोर्ट दर्ज कर कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को तिहाड़ जेल भेज दिया था। बाद में इन्हें हाई कोर्ट से जमानत मिल गई थी।